हिन्दी वर्ष का अंतिम उत्सव के साथ
समापन हो रहा है...
बेसब्री से प्रतीक्षा है
आज पहली बार प्रवेश कर रहे हैे
चतुर एकलव्य..........शोध छात्रा हेमलता यादव
निषाद-पुत्र
एकलव्य का
दाहिना अंगूठा आज
तक नहीं उग पाया।
गुरु द्रोण
जो उच्चवर्ण के
एकाधिकार संरक्षण हेतु
मांगा था आपने।
इस शहर के लोग..........डॉ.टी.एस.दराल
लोग पैट पालने का शौक तो पाल लिया करते हैं ,
लेकिन पैट का पेट फुटपाथ पर साफ़ कराते हैं जिस पर खुद चला करते हैं।
फिर कहीं पैर में पैट का पेट त्याग न लग जाये ,
इस डर से इस शहर में लोग सर उठाकर नहीं , सर झुकाकर चला करते हैं।
किस लिए............आशा सक्सेना
आपने क्रोध जताया
किस लिए
डाटने में मजा आया
इसलिए
या हमने कुछ
गलत लिया इसलिए
मेरा 'अंश' आगे बढ़ा !!!....... ज्योति देहलीवाल
हां दोस्तो, 11 मार्च 2017 का दिन मेरे लिए एक विशेष खुशी का पैगाम लेकर आया। इस दिन मैं एक नन्हीं सी परी की नानी बन गई, नानी...! कितना अच्छा लगता है न यह संबोधन! विश्वास ही नहीं होता...कल तक जो खुद एक बच्ची थी, वो आज इतनी बड़ी हो गई कि एक बच्ची की माँ बन गई! कभी-कभी मन में विचार आता है कि जिस लड़की से यदा-कदा बुखार आने पर क्रोसिन की एक गोली गिटक के नहीं होती थी...वो लड़की डिलीवरी में इतनी गोलियां कैसे गिटकती होगी? कैसे सहन किया होगा उसने इतना दर्द? उसकी नॉर्मल डिलीवरी हुई है। उस वक्त तो बहुत दर्द होता है...कैसे सहा होगा ये दर्द मेरी बच्ची ने?
अब और नहीं...........ऋता शेखर 'मधु'
भोजन का वक्त हो चुका था| देवरानी अन्दर देखने आई तबतक उर्मिला जी माँड पसा रही थीं| उत्सुकतावश देवरानी ने वह कागज उठा लिया| पढ़ते ही स्याह हो गई| फिर खुद को संयत करते हुए बोली, ‘’जिज्जी, अब इस उम्र में नौकरी....’’ ‘’छोटी, देख , इस काठ की हाँडी में मैने चावल पकाया है| आगे यह हाँडी नहीं चढ़ेगी|’’ ‘’जी, जिज्जी’’ समझदार देवरानी, जेठानी के स्वाभिमान से दीप्त चेहरे को पढ़कर चुप रह गई|
बात पते की....डॉ सुशील जोशी
इस बार
वो भी
देशभक्तों
के साथ
आ रहे हैं
समझा रहे हैं
समझिये
देश भक्त
देशभक्ति
चुनाव और
लोगों की
सक्रियता
....
इजाजत मांगती है यशोदा
सादर
बहुत सुंदर संकलन👌
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को मान देने के लिए आभार बहुत सारा आपका यशोदा जी🙏
bhoat sunder rachna hai happy new year
जवाब देंहटाएंसुप्रभात सुंदर संकलन आभार आपका
जवाब देंहटाएंसुप्रभात
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक लिंको का चयन
सुन्दर प्रस्तुति। आभार यशोदा जी खुजली ‘उलूक’ की को स्थान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन। पांच लिंकों का आनन्द में" में मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, यशोदा जी!
जवाब देंहटाएंअपनी अनमोल रचनाओं के संग्रह में मेरी रचना "डर लगता है आज भी" को स्थान देने के लिये आपका ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ। "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंधन्यवाद यशोदा जी मेरी रचना शामिल करने के लिए आज के पांच लिंकों के आनंद में |
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिनक्स ... बधाई ...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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