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रविवार, 26 फ़रवरी 2017

590.....कुछ लोग लोगों को उनके बारे में सब कुछ बताते हैं

सादर अभिवादन
आज की ताजा खबर
विरमसिंह शादी के कार्यक्रम मे फसे हैं
तो.....मैं हूँ न..
चलिए चलते हैं आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर...

शब्द
आख़िर लौट कर आएँगे
ये मेरे पास एक दिन
आएँगे
मेरे कवि-मन के आँगन में
मरूस्थल बनी
मेरे मन की धरा पर
बरसेंगे रिमझिम

जब तुम खुद को बिल्कुल खाली समझना,
जब तुम्हे लगे कि जैसे,
कुछ है ही नही तुम्हारे लिये..
तब तुम मुझे पढ़ना,

बरसों से जो साथ थे, अचानक बिछड़ गए,
जाने कहाँ से आए थे, कहाँ चले गए.

आसां नहीं होता दिल की बात कह देना,
मैं सोचता ही रह गया,वे उठकर चले गए.

तुझे चाहा था.. मैंने उम्र भर ! 
ये हौसला भी तो कम न था ​!!​ ​
ए​क तेरे गम के.. सिवा मुझे ! 
मुझे ​​ ​ और कोई भी गम न था !! 


इंसानों से अलग 
कुछ अलग तरह 
के लोग सब कुछ होते हैं 
‘उलूक’ भगवान की पूजा 
करने से नहीं मिलता है मोक्ष 
कुछ लोगों की 
शरण में जाना पड़ता है 
आज के जमाने में 
भगवान भी उन्ही 
लोगों से पूछने 
कुछ ना कुछ आते हैं । 








2 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया हलचल. मेरी कविता शामिल करने के लिए शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर हलचल । आभार यशोदा जी 'उलूक' के सूत्र 'कुछ लोग लोगों को उनके बारे में सब कुछ बताते हैं' को आज के शीर्षक पर जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं

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