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शनिवार, 26 नवंबर 2016

498 .... बदलाव / परिवर्तन





सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष

जब तक हम 500 पोस्ट बना पाते
500 में फेरबदल हो गया
जी भर हँसाया रुलाया 500

भगनी की शादी थी .... मामी को कई जगहों पर पैसे देने होते हैं ...
एक 500 की जगह 100 - 100 का 5 नोट देना अच्छा लगता था :P

आज ब्लॉग पर बहुत दिनों के बाद आई तो रूप-रेखा बदला बदला सा लगा
बदलाव बेहद जरूरी होता है .... रुके पानी में काई जम जाता है

क्षण
स मांगे
धैर्य धागे
शौर्य स्रग्धर
दिवा निशा जागे
किलका बदलाव 
गौं
खलु
कालाग्नि
नोटबंदी
चोट आतंकी
जिच्च दिवातन
   असु परिवर्तन


जिच्च=शतरंज के खेल में वह स्थिति जब एक पक्ष के खिलाड़ी को कोई मोहरा चलने की जगह नहीं बचती






बदलते रहने से चीज़े जो मन पर असर करती है सही दिशामें हो तो मन को सही सोच है मिलती फर्क हमें नहीं रुलाता गलत सोच रुलाती है 
जब जब गलत सोच से कोई फर्क जीवन पर असर करता है वह जीवन पर हमेशा गलत असर करता है बदलाव जीवन पर जरूर असर करता है 






वो रात के चमकते हुए सितारे हों.
या दिन में तपता हुआ सूरज. 
वो सुबह की मखमली ओस हो. 
या आसमान से गिरती बारिश.






कौन प्रखर कर पाता
बीते पल  सुमधुर यादों के
शायद विस्मृत हो जाते
परिवर्तन नकार के पन्ने






दुनियां में बदला का ख्याल 
अच्छा लगता है
पर हर सोच पर झगड़ा बढ़ता  है
जिदंगी को अपनी राह पर
अपनी गति 
से चलने दो
सिखाओ लोगों को आंख से देखना
कान से सुनना 
दिमाग से 
सोचना








अब बदलाव ज़रुरी है, बदलने ये रिवाज है,
अरे यही तो बदलते दौर की गूंजती आवाज़ है.

अब तो कह दो वतन के दुश्मनों को ललकार कर,
अगर वो हैं नाग जहरीला तो हम भी भयंकर बाज हैं




फिर मिलेंगे ..... तब तक के लिए

आखरी सलाम


विभा रानी श्रीवास्तव






2 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    अब बदलाव ज़रुरी है,
    बदलने ये रिवाज है,
    अरे यही तो
    बदलते दौर
    में सहन शक्ति
    की पहचान भी है
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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