आज अत्यन्त हर्षित हूँ
पाँच लिंकों का आनन्द का पाँच सौवाँ अंक
प्रस्तुत करते हुए..
आप सभी के सहयोग के बिना ये कतई मुमकिन नहीं था
आभार आप सभी को..
चलिए चलते है आज की मिली-जुली रचनाओं की ओर........
पहली बार....
भारत इकलौता ऐसा देश है जहां बड़ीं संख्या में ऐसे लोग रहते हैं जो स्वयं तो बेवकूफ बन जाते हैं
लेकिन बेवकूफ बनाने वाले को हीरो बना देते हैं!
कहा जा रहा है कि इकॉनमी की सुधार की रफ्तार धीमी पड़ गई है!
इसका कुछ श्रेय उन लोगों को भी दिया जाना चाहिए जो संसद नहीं चलने देते!
...फिदेल कास्त्रो के नाम क्यूबा में मार्ग नहीं हैं और भविष्य में यहाँ मोदी के नाम भी नहीं होंगे। नवोन्मेषी लोग 'मार्ग और मूर्ति' सरीखी बहुजनी कांग्रेसी गतिविधियों में अपनी ऊर्जा नहीं खपाते। हाँ, उन्हें प्रचार तंत्र तगड़ा रखना ही होता है और दण्ड का भी। कौटल्य भी तो यही कह गये हैं, नहीं?
धूर्त मन,मक्कार दिल पर,ओढ़ चादर केसरी
देश पर खतरा बताते,आज भी कुछ लोग हैं !
हमको लड़ना ही पड़ेगा, इन ठगों के गांव में,
कौम को ज़िंदा बताते,आज भी कुछ लोग हैं !
अमेरिका की प्रथम महिला मिशेल ओबामा कहती हैं, ‘जिंदगी हमेशा सुविधाजनक नहीं होती |
ना ही एक साथ सभी समस्याएं हल हो सकती हैं | इतिहास गवाह है कि साहस दूसरों को प्रेरित करता है
और उम्मीद जिंदगी में अपना रास्ता स्वयं तलाश लेती है |’
काली भयानक रात,
चारों ओर झंझावात,
पर, जलता रहेगा - दीप---मणिदीप
सद्भाव का / सहभाव का।
किसी ने बर्फ से पूछा कि, आप इतनी ठंडी क्यूं हो ? .बर्फ ने बड़ा अच्छा जवाब दिया :-" मेरा अतीत भी पानी; मेरा भविष्य भी पानी..." फिर गरमी किस बात पे रखूं ?? क्या इंसान की भी यही स्थिति नहीं है। उसका अतीत भी "खाली हाथ" एवं भविष्य भी "खाली हाथ"फिर....? घमंड किस बात का !!!
सत् के सम्मुख कब टिक पाया
घोर तमस की कुत्सित चाल,
ज्ञान रश्मियों से बिंध कर ही
हत होता अज्ञान कराल,
उड़ता पंछी.........शुभा मेहता
मैं , उडता पंछी
दूर....दूर .....
उन्मुक्त गगन तक
फैलाकर अपनी पाँखें
उड़ता हूँ
दो साल पहले
यहां कोई
बात कर
वहां कोई
बात कर
बाकी पूछे
कोई कभी
कहना ऊपर
वाले से डर ।
आज्ञा दें यशोदा को
डर है कि सीमा न लाँघ जाऊँ
सादर
पाँच डब्बे की रेल पाँचसौ पर आ कर खड़ी कर दी आपने। पाँच लिंको के आनन्द के सभी चर्चाकारों की मेहनत को सलाम। आभारी है 'उलूक' सूत्र 'कर कुछ भी कर बात कुछ और ही कर' को शीर्षक देकर सम्मान देने के लिये। अब कारवाँ यहाँ से इसी तरह बढ़ता चले हजार की ओर यही मंगलकामना है ।
जवाब देंहटाएंशुभप्रभात....
जवाब देंहटाएंपांच लिंक....
पांच चर्चाकार...
500 अंक....
क्या खूब मेल है आज...
सुंदर....
बेहतरीन लिंक कलेक्शन , हार्दिक आभार रचना को स्थान देने के लिए ...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंलेखक पाठक सभी को बधाई
जवाब देंहटाएंशुभ संध्या दीदी
हटाएंसादर चरणस्पर्श
आभार
सादर
बहुत खूबसूरत लिंक है विविधताओं से भर हुआ। हर लेख हर कविता सुन्दर रचनाकार बधाई के पात्र हैं
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट का लिंक देने के लिए आभार। बाकी रचनाएँ अदभुत हैं।
जवाब देंहटाएंशुभ संध्या वीरेन्द्र भैय्या
हटाएंअद्भुत रचना है आपकी
पढ़ने में आनन्द आया
और थोड़ा तीखा चाहिए
सादर
आभार, यशोदा जी । सुंदर संयोजन ।
जवाब देंहटाएंइस शिखर को पार करने की बधाई। आने वाले समय में और भी ऊंचाइयां देखने को मिलें।
जवाब देंहटाएंशुभ संध्या गगन भैय्या
हटाएंआभार
बहुत-बहुत बधाई पाँच सौंवेँ अंक के लिए , मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदय से आभार ।सभी लिंक अप्रतिम ।
जवाब देंहटाएंसोने की चिड़ीया से मुल्क में अंधेरा क्यों है
जवाब देंहटाएंइस दौर में भी काला इतना सवेरा क्यों है
दिखती है अब हर शय में खौफ की आहट
सवेरा है मगर फिर भी घना अंधेरा क्यों है
माना की हर फैसले से वास्ता नहीं तेरा
मगर फिर भी हर फैसला तेरा क्यों है !
अजीब सवाल पूछ रह है निशब्द परिंदों से
इस दौर में बिजली के तार पर बसेरा क्यों है।
सोने की चिड़ीया से मुल्क में अंधेरा क्यों है
जवाब देंहटाएंइस दौर में भी काला इतना सवेरा क्यों है
दिखती है अब हर शय में खौफ की आहट
सवेरा है मगर फिर भी घना अंधेरा क्यों है
माना की हर फैसले से वास्ता नहीं तेरा
मगर फिर भी हर फैसला तेरा क्यों है !
अजीब सवाल पूछ रह है निशब्द परिंदों से
इस दौर में बिजली के तार पर बसेरा क्यों है।
मेरी post "कभी न छोड़े उम्मीदों का साथ " को halchalwith5links पर शामिल करने के लिए धन्यवाद यशोदा जी |
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