सादर अभिवादन
आज मन थोड़ा खिन्न है
पता नहीं क्यों
बेचैनी सी है
आज पानी ले भरा गिलास
लुढ़क गया....
संकेत किसी के आगमन का है...
चलिए... जो आएगा सो पाएगा....
आज की मन-पसंद रचनाएँ .......
आपको लेना हो जो फाका फकीरी का मज़ा...
भीख में मिलते महल को मार ठोकर देखिए...
थक गये जो लिखते लिखते, याद से भीगी ग़ज़ल...
खून में अपनी क़लम, अबके डुबोकर देखिए...
बीते हुए दुःख की दवा सुनकर मन को क्लेश होता है..कविता रावत
जिसे कभी दर्द न हुआ वह भी सहनशीलता का पाठ पढ़ा लेता है।
अपना पेट भरा हो तो भूखे को उपदेश देना बहुत सरल होता है।।।
नेक सलाह जब भी मिले वही उसका सही समय होता है।
बीते हुए दुःख की दवा सुनकर मन को क्लेश होता है।।
हम सब बढ़ते रहे
उनका एहसान माने बिना
उन पर एहसान जताते हुये
वो चुपचाप जीते रहे
क्योंकि वो पेड़ थे
फलदार
छायादार ।
मौत ने कैसा रंग जमाया गड्ढे में
मिट्टी को मिट्टी से मिलाया गड्ढे में
नेकी कर गड्ढे में डालो अच्छा है
वर्ना जितना साथ निभाया गड्ढे में
तुम वो नहीं जो तुम हो ,
तुम वो हो जो दिख रहे हो
तुम खुद भी न समझ पाओगे क्या हो
न समझा पाओगे की क्या हो ,
सच बोलना कितना खतरनाक है
खतरनाक समय है ये
सुना था
इमरजेंसी में लागू थीं यही धाराएं
तो क्या
सच की धार से नहीं कटेगा झूठ इस बार ?
अब शीर्षक की बारी....
प्रश्न उठे
कहीं से भी
उसके उठने
से पहले
दाग देना
ढेर सारे
जवाब
........
आज्ञा दें यशोदा को
......
चलिये पता चला पानी कि पानी भरा गिलास लुढ़काने से मेहमान बुलाये जा सकते हैं। मन खिन्न ना कीजिये क्या पता हरि किसी नये रूप में आने वाले हैं । सुन्दर हलचल प्र्स्तुति । 'उलूक' की बकबक 'मुठभेड़ प्रश्नों की जवाब हो जाये कोई कुछ पूछ भी ना पाये' को शीर्ष देने के लिये आभार यशोदा जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंासादर...