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मंगलवार, 8 नवंबर 2016

480... उनकी जन्मस्थली पर उनका मंदिर बनाने पर आखिर विवाद क्यों?

जय मां हाटेशवरी...

जब भी देश में केंद्र के या
उत्तर प्रदेश में चुनाव होते हैं...
 मर्यादा पुरुषोत्तम राम  के नाम पर राजनिति शुरु हो जाती है।
एक दल श्री राम का जयघोष करता है...दूसरा   दल खुद को श्री राम से अलग करता नजर आता है...
जिन श्री राम ने एक वचन की खातिर राज्य, सुख-भैभव  सब कुछ त्याग कर दिया था...
जो श्री राम भारत के आदर्श हैं... राम में वो सारे गुण विधमान हैं जिसकी लालसा माता-पिता अपने पुत्र में, पत्नी अपने पति में, शिक्षक अपने शिष्य में, भाई अपने भाई में और प्रजा अपने राजा में करती है। राम एक
आदर्श पुत्र, पति, भाई और राजा के प्रतीक हैं। आज भी वे समस्त भारत वासी के लिए एक अतुलनीय उदहारण हैं। एक भारतीय  के जन्म से लेकर मृत्यु तक जितने भी महत्वपूर्ण विधि विधान हैं चाहे वो उपनयन संस्कारहो अथवा विद्या अर्जन, गृहस्थाश्रम हो अथवा वान्प्रास्थ, हर सुख और दुःख की घडी में राम ही उसका आदर्श, मानसिक संबल और पथ प्रदर्शक हैं। रामायण तत्पुरुष शब्द है जो "रामा " और "आयन" का संयुक्त अक्षर है। इसका अर्थ है राम की यात्रा। अपने जीवन यात्रा के क्रम में राम मानो जीवन के सारे रहस्य अपने भक्तों के समक्ष खोल देते हैं ताकि विषम से विषम संकट की घडी में भी एक राम भक्त का हौसला बना रहेऔर उसका सही पथ प्रदर्शन होता रहे। राम की इसी सर्वव्यापकता की चर्चा अनेक लेखकों और कवियों ने की है। निदा फाजली लिखते है: " राम कण कण में हैं, राम जन जन में हैं; बचपन की मुस्कराहट में हैं राम,
बहन की चूड़ियों की खनखनाहट में हैं राम, माँ के चेहरे की जगमगाहट में हैं राम, खेतों में फसलों की लह्लाहट में हैं राम।" तात्पर्य यह कि राम सर्वव्यापी हैं और हर उस बंधन से ऊपर हैं जो मनुष्य द्वारा धर्म और जाति के आधार पर बनाये गए हैं। आज भी एक आम भारतीय  संकट के समय अपने राम को याद करता है और उनके जीवन से शिक्षा प्राप्त करता है। राम के चरित्र में देश का चरित्र निहित है। राम का चरित्र देश को एक अलग पहचान प्रदान करता है। राम के चरित्र और कृत से प्रभावित होकर
ही महात्मा गाँधी देश में "राम राज्य" लाने की बात करते थे जो सर्वत्र सुख, शांति, समृद्धि, सहिष्णुता और न्याय का  समग्र मापदंड था। "राम राज्य" उनकी नज़रों में कल्याणकारी राज्य का सबसे बेहतर उदहारण था। यही वजह रही होगी कि हमारे संविधान रचयिताओं ने संविधान के खंड तीन जो मौलिक अधिकारों से सम्बंधित था की शुरुआत में राम, सीता और लक्ष्मण के वन गमन के चित्र को अंकित किया ताकि लोगों को राम राज्य की गरिमा का सदा ध्यान रहे और वे अपने सत्य के पथ पर सदा चले जैसा कि श्री राम ने वन गमन के समय किया था। फिर मैं पूछता हूं कि उनकी   जन्मस्थली पर उनका    मंदिर बनाने पर  आखिर विवाद क्यों?

आहुति अब पूरी होगी
हम अश्वमेध को लायेंगे
जो जन्म भूमि है राम की...
वहां राम ही पूजे जायेंगे..
एक नहीं दो बार नहीं हर बार यही दोहरायेंगे

सौगंध राम की खाते हैं,हम मंदिर वहीँ बनायेंगे...
राम तुम बस
राम हो
तुम्ही से सीखा
मर्यादा रखना
मन में शक्ति -भक्ति भर
अन्याय के खिलाफ
लड़ना मरना और
सच का सामना करना!  "राम महिमा !"
राम-एक नाम है
सुमधुर झंकार का
अमृत संचार का
दर्शन का- प्यार का
राम- सुंदर रूप है
बादलों में जैसे धूप है
सृष्टि का प्रारूप है
एक सहज स्वरुप है
राम- मनमोहक है
छवि राम की सोहक है
मोहमाया का धोवक है
शक्ति का संयोजक है
राम- एक शरण है
अमूल्य उनके चरण हैं
राम- जीवन का धन है
मोहमाया एक भ्रम है !
अब पेश है आज की चुनी हुई रचनाएं..
.
 मेरे दिल में बहुत दर्द है
 लोग शहीदों की शहादत विसराये बैठे हैं,
 गाँधी, नेहरु, सुभाष, भगत सिंह को भुलाये बैठे हैं।
देश में उच्च पदस्थ लोग,
लूटने खसोटने की आदत बनाये बैठे हैं।
बढ़ गया भ्रष्टाचार देश में,
कर रहे कर्णधार ही बेड़ा गर्क हैं.............. मेरे दिल में.................।

12 वर्ष के उम्र में दुनिया का सबसे कठिन परीक्षा IIT पास करने वाला बिहार का सत्यम बना फ़्रांस के छात्रों के लिए नजीर
रामलाल सिंह का पोता सत्यम कुमार (16) आज से चार साल पहले भारत में खूब नाम कमाया था। जब महज बारह वर्ष की उम्र में आइआइटी की प्रतियोगिता में बुलंदी का झड़ा गाड़ा था। फिलहाल सत्यम आइआइटी कानपुर में इलेक्ट्रिकल ब्राच का छात्र है। इसी बीच फ्रांस में समर रिसर्च इन्टर्न के अवसर पर ‘ब्रेन कम्प्यूटर इन्टरफेसेज’ विषय पर रिसर्च के लिए सत्यम का चयन कर लिया गया। उसका चयन फ्रांस के चार्पैक
स्कॉलरशीप तथा भारत सरकार में ‘ए सर्विस ऑफ दी एम्बेसी’ के संयुक्त तत्वावधान में ‘टू प्रमोट हाईयर एजुकेशन इन फ्रांस’ के लिए किया गया

   करूँ प्रणाम तुम्हें बारम्बार
   दीर्घायु हो संतान
   और झिलमिलाता रहे
   मांग का सिंदूर
   मांग रही आशीर्वाद
   विश्व -शांति का और
  भरा रहे अन्न -धन से घर- द्वार
  करूँ प्रणाम तुम्हें बारम्बार

हेल्थ ब्लंडर
शुरू से ऐसी ही ठानी
मिले, अंगारों से पानी
पिएंगे सागर तट से ही
आंसुओं में डूबा पानी,
कौन आयेगा देने प्यार
हमारी सांस आखिरी में
हंसाएंगे इन कष्टों को
डुबायें दर्द, दीवानी में !
बहुत कुछ समझ नहीं पाये, इश्क़ न करें किसी से यार !
मानवों से ही डर लागे
पागलों में ही, यारी रे !!

खांसी,जुकाम,एलर्जी, और सर्दी का आयुर्वेदिक घरेलू उपचार
खांसी के लिए ------ कालीमिर्च व शहद की चटनी का प्रयोग---
list of 3 items
• प्रतिदिन में 3 बार हल्के गर्म पानी लेकर उसमें आधा चम्मच सैंधा नमक डाल कर गरारे करें।
• सुबह उठने के बाद, दोपहर को और रात को सोने से पहले एक चम्मच शहद लेकर उसमें थोड़ी सी पिसी हुई काली मिर्च का पाऊडर डाल कर मिलाकर  चाटें
• अगर खासी ज्यादा आ रही हो तो 2 साबुत काली मिर्च के दाने और थोडी सी मिश्री मुंह में रख कर चूसे आपको आराम मिलेगा.

"विकल्प"
          मिथिला में कन्यादान के रस्मों में तिल का प्रयोग नहीं होता है , जिससे लड़की का सम्बन्ध पूरी तरह माता पिता से खत्म नहीं होता है । बेटियां माता पिता
के सुख दुःख की सहयोगी होती ही हैं , उनके मरणोपरांत उनके श्राद्ध भी तीन दिन का करती हैं । बेटी या बहू है ,इसका पता चल जाता है कि तीन में कि तेरह में से
इस विधा को समझते हुए मुन्ना का क्रोध थोड़ा शांत हुआ और शादी शांतिपूर्वक संपन्न हुई | साथ ही मुन्ना कहावत का अर्थ भी समझ गया .... "ना तीन में ना तेरह में"

धन्यवाद।

धन्यवाद।
















4 टिप्‍पणियां:

  1. ढ़ेरों आशीष व असीम शुभकामनाओं संग सुप्रभात
    बहुत बहुत धन्यवाद आपका

    जवाब देंहटाएं
  2. बढ़िया प्रस्तुति कुलदीप जी । जरूरी भी बीच बीच में जोरों से आ जाना राम जी की यादें ।

    जवाब देंहटाएं
  3. जय श्री राम
    सही व सटीक
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं

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