जय मां हाटेशवरी...
सर्वप्रथम नमन है उन शहीदों को...
जो सरहदों की रक्षा करते हुए...
मां भारती के चरणों में हमेशा-हमेशा के लिये सो गये हैं...
अब पेश है आज के पांच लिंक...
डियर जिंदगी!!
कोई दर्द न दे मुझे
कमज़र्फ़ न दे मुझे
कि हर मुश्किल सिए जाऊं !!
कोई सोच दे
जो फलक तक ले जाये
कोई जिक्र दे
जो खुद तलक ले जाये
लुटाया भी जी आदमी आदमी पर
ये मंज़र तस्सवुर में लाकर तो देखो
के हो चाँद तो, गुम सी हो चाँदनी, पर
लिया गर है जी आदमी आदमी का
लुटाया भी जी आदमी आदमी पर
गड्ढे में ...
नेकी कर गड्ढे में डालो अच्छा है
वर्ना जितना साथ निभाया गड्ढे में
पहले तो गज भर खोदो मिल जाता था
पानी के अब खूब रुलाया गड्ढे में
चांद तन्हा है आसमां तन्हा...मीना कुमारी
जलती-बुझती-सी रौशनी के परे
सिमटा-सिमटा सा इक मकां तन्हा
राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएंगे यह जहां तन्हा...
नाटक का छल
तभी खबरी खरगोश धड़धड़ाता हुआ दरबार में प्रवेश करता है । महाराज के सामने आकर वह घुटनों तक झुकते हुए कहता है, ‘महाराज की जय हो । एक खुशखबरी पकड़ के लाया
हूँ महाराज । आदेश हो तो सभी के समक्ष पेश करूँ ।’
‘तुझे आदेश की क्या जरूरत है । इधर-उधर न कर और जल्दी से सुना । अब मुझसे रहा नहीं जाता ।’ कहते-कहते महाराज की अधीरता सतह पर आ जाती है ।
‘महाराज, पिछला सर्वे जहाँ आपको पिछड़ते हुए दिखा रहा था, वहाँ अब नया सर्वे आपकी बढ़त को बता रहा है । यह तो चमत्कार हो गया महाराज । आपने तो कुछ किया भी नहीं और...’मुठभेड़ प्रश्नों की जवाब हो जाये कोई कुछ पूछ भी ना पाये
धन्यवाद।
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दक व सटीक चयन
साधुवाद
सुन्दर प्रस्तुति कुलदीप जी । 'उलूक' के सूत्र 'मुठभेड़ प्रश्नों की जवाब हो जाये कोई कुछ पूछ भी ना पाये' का जिक्र चर्चा के अंतिम वाक्य के रूप में आपने किया है उसके लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चयन :)
जवाब देंहटाएंसुंदर हलचल ... आभार मुझे शामिल करने का ...
जवाब देंहटाएंसभी नहीं देखे .... कुछ देखे हैं
जवाब देंहटाएंअच्छा चयन
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