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गुरुवार, 17 नवंबर 2016

489...सुना करते थे बड़ों से कभी हम भी,मगर अब रक्षकों से ही लुटे

सादर अभिवादन
भाई कुलदीप जी का कम्प्यूटर आज
बनने के आतुर है
अगले सभी अंक लगातार
वे ही देंगे

आज मेरी पसंद......

















आज मैं आराम से बैठी थी
अचानक एक मैसेज आया
भाई कुलदीप जी की प्रस्तुति बना दीजिएगा
चलिए पढ़ा हुआ काम ही आया
चलती हूँ
आज्ञा दें
य़शोदा





7 टिप्‍पणियां:

  1. आपके काम को नमन
    हडबडी में भी गडबडी नहीं होती है

    जवाब देंहटाएं
  2. bahut sundar links hai kuldeep ji anand aa gaya , abhar evm hardik badhai

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत उम्दा प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत उम्दा प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  5. रचना को स्थान देने के लिए आपका आभार।

    जवाब देंहटाएं
  6. बड़े ही खूबसूरत सूत्रों का चयन किया है आज आपने ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार यशोदा जी !

    जवाब देंहटाएं

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