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गुरुवार, 10 नवंबर 2016

482...करेंसी नोट वापसी का तीर किसे लगा ,कौन कौन मारा गया ?


जय मां हाटेशवरी...





















काले धन पर पीएम मोदी की सर्जिकल स्ट्राइक  के बाद...
कालाबाजारियों, गुनाहगारों,  दलालों, भ्रष्टाचारियों और नेताओं को...
2 दिनों से बिलकुल भी नींद नहीं आ रही होगी...
हम जैसे लोगों के लिये तो बस  एक या दो दिन की  समस्या है...
वैसे भी निर्धनों या मध्यवर्गी लोगों  के जीवन में  तो...
छुट-पुट समस्याएं आती ही रहती हैं...
मैं भी सोचता हूं कि...देश को भ्रष्टाचार और काले धन रूपी दीमक से मुक्त कराने के लिए इस प्रकार का  
सख्त कदम उठाना ज़रूरी हो गया था...बशर्ते सरकार किसी दबाव में न झुके।...
इस बिना सूचना की सर्जिकल स्ट्राइक   का...हिंदी ब्लॉग पर भी असर देखा गया...
जानते हैं...हिन्दी ब्लॉगरों की राय
इस प्रस्तुति में...


अभि‍रूप उवाच....हाय पैसा
हमारी बातचीत एक तरफ..इतना शोर मचाया कि‍ पहले उन्‍हें सारी बात समझानी पड़ी। समझकर दौडे़ गए अपने कमरे में और अपने मनीबाक्‍स से पूरे 7500 नि‍काल लाए और थमा दि‍या हाथ में। बोले......अभी के अभी बदल के सौ-सौ के नोट दो। रख मत लेना...ये मेरे पैसे हैं। अभी-अभी उनका बर्थडे गुजरा है..और उसमे मि‍ले लि‍फ़ाफों पर कब्‍जा जमा लि‍या था जनाब ने। छूने भी नहीं दि‍या हमें। देखि‍ए जमाख़ोरी का नतीजा...बेचारा बच्‍चा भी परेशान हो गया।

लघु व्यंग्य : हर पति के दिन फिरते हैं।
मेरा इतना पूछना था कि यूं लगा मानों टिहरी डैम के कर्मचारियों ने डैम के सारे कपाट खोल दिये हों और डैम का सारा रूका पानी अपने पूरे बेग से देवप्रयाग की तरफ निकल पडा हो। बोली, अरे,  ये तो सचमुच का फेंकू निकला यार। कहता था, स्विस बैंक से ब्लैकमनी लाऊगा और १५-१५ ,लाख दूंगा सबको । कुछ देना लेना तो दूर, मैने तुम्हारी जेब से टपा-टपाके जो १०-१५ हजार रुपये  बटोर कर रखे थे, उन पर भी कम्वक्त ने आज सर्जिकल स्ट्राइक कर दी। मैं अभी भी दुविधा मे था, अत: मैने अपने धैर्य के बचे खुचे भन्डार का इस्तेमाल करते हुए सहज भाव से पूछा, जानेमन, बहुत नाराज हो क्या ,क्यों इतना अत्याचार कर रही हो मुझपर ? मैने तो कल रविवार के दिन  सिर्फ एक पव्वे के पैसे मांगे थे तुमसे, और तुमने तो आज खजाना ही खोल दिया।  वो स्वभाव को न्रम करते हुए टीवी पर न्यूज चैनल  लगाते हुए बोली, वो देखो और सुन लो , अपने अजीज फेंकू  महाराज को, भक्तों को क्या भगवद्गीता का पाठ पढ़करसुना रहे हैं।    खैर , चाय वाले को ....... बोलते,
बोलते वह रुक सी गई , फिर बोली,  जाओ ,टेबल पर  से १००० का नोट ले जाओ और  पब्वे की जगह बोतल ही ले आना  तुम्हारा हफ्ते भर का गुजारा हो जायेगा। और हाँ, साथ मे तंदूरी चिकन भी ले आना अपने लिए।

करेंसी नोट वापसी का तीर किसे लगा ,कौन कौन मारा गया ?
वो राजनीतिक दल मारे गए जो लैप टॉप बांटते थे वोट खरीद के लिए अन्य कई और साधनों कम्बल ,शबाब और शराब का इस्तेमाल करते थे ,सब तबाह हैं आज। मायावतियां और मुलायम आलिया ,तमाम राजनीति के धंधे बाज़ तबाह हैं। रोना गरीब का हिंदुस्तान के आम आदमी का रो रहें हैं उस केजरबवाल के पास अब काला धन आना बन्द हो जाएगा, जिसका आंतरिक प्रदूषण दिल्ली के स्थूल प्रदूषण से बड़ा हो गया था। अब फिर वो एलजी को पकड़ेगा मोदी का रोना रोयेगा। रोवो भैया फूट फूट  के रोवो। इसीलिए इनके भौंपू चैनलों पर गरीबों का क्या होगा ,किसी को अपनी बेटी की शादी करनी है वह अब क्या और कैसे करेगा ?वगैरहा वगैरहा की आड़ में अपनी हताशा निकाल रहे हैं।

नोट तो नोट है ,फिर भी चल जाएगा / व्यंग्य / राकेश अचल
फ़ितरत खान की बिरादरी के लोग केवल हमारे ग्वालियर में ही नहीं हैं, पूरे मुल्क में हैं. अभी तक मुल्क इन लोगों की मुठ्ठी में हुआ करता था. अब ये मुल्क की मुठ्ठी में हैं. मिन्नतें कर रहे हैं, रिरिया रहे हैं , बड़े नोट जमा कराने के लिए. पांच सौ का नोट चार अउ में और हजार का आठ सौ में देने के लिए राजी हैं, फिर भी ईमानदार
रियाया है की हाथ नहीं धरने दे रही.

बड़े नोटों के चलन ई खबर पाकर बड़ी बी रात से ही सन्निपात में चली गयीं हैं. बार-बार मुंह पर पानी छिड़कना पड़ रहा है. पता नहीं क्या आंय-सांय बड़बड़ा रही हैं ? डॉक्टर परेशान हैं. नींद की सुई लगा कर अभी अभी गए हैं , लेकिन हमारा बाबा खुश है. उसकी सेहत पर बड़े नोट बंद होने का कोई साइड इफेक्ट नजर नहीं आ रहा. बाबा ने
रोज की तरह कपालभाती की , आसन लगाए , आँखें मिचकाई. और मुस्कराते हुए बोले-"देखो हम पहले से ही कहते थे की ऐसे कपड़े पहनो जिसमें जेब न होती हो. तब हमारी बात किसी ने मानी नहीं. मान लेते तो आज ये दिन न देखना पड़ते.

काले धन पर सरकार का ‘सर्जिकल स्ट्राइक’
- जिस वक्त नरेन्द्र मोदी के राष्ट्र के नाम संदेश की जानकारी मिली, सबसे बड़ा सवाल यही था कि मसला क्या है? हालांकि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में लोगों को सलाह दी है कि पैनिक न फैलाएं. पर डर अफरा-तफरी का ही है. खासतौर से छोटे लोगों की छोटी रकम का. और उन लोगों का जो नेट बैंकिग से नहीं जुड़े हैं.

सरकार को प्रशासनिक स्तर पर ऐसी व्यवस्था करनी होगी कि इससे सामान्य लोगों को दिक्कत न हो और नोट परिवर्तन आसानी से हो जाए. देश के साढ़े छह लाख से ज्यादा गांवों तक इस फैसले का असर होगा.

नकली मुद्रा पर सरकारी चाबुक
(1) देश में लम्बे समय से आर्थिक क्रियाओं में संलिप्त नकली मुद्रा एकदम से निष्प्रभावी हो गई है. सरकार द्वारा बिना किसी सूचना के, बिना पूर्व घोषणा के नोटों के बंद किये जाने से काले कारोबारियों को, नकली मुद्रा के ठेकेदारों को अपनी मुद्रा को खपाने का अवसर नहीं मिल सका है. अब वे सिर्फ बैंक के माध्यम से ही अपनी
मुद्रा को बदल सकेंगे या जमा कर सकेंगे. ऐसे में देश को सिर्फ असल मुद्रा ही उपलब्ध हो सकेगी.

(2) मुद्रा के बंद किये जाने से एक झटका उनको भी लगा है जो नकली मुद्रा छापने के काम में संलिप्त थे. उनके द्वारा लगातार छापे जा रहे नकली नोट अब रद्दी के टुकड़े के बराबर कीमत के हो गए हैं. नकली नोटों के कारोबारियों के द्वारा जहाँ बहुत सारा कागज, स्याही खर्च करी जा चुकी होगी वहीं अब नयी मुद्रा की काट निकालना, उसे छापना भी सहज नहीं होगा.

(3) आतंकवाद के रास्ते, ड्रग्स के द्वारा, अवैध कारोबार के द्वारा जो मुद्रा देश के भीतर भेजी गई है उसका उपयोग किसी भी रूप में नहीं हो सकेगा. इसका कारण मूल रूप से ऐसे मामलों में मुद्रा का अवैध रूप प्रयुक्त किया जाना है. ऐसी मुद्रा का उपयोग किया जाना जहाँ अपराधियों को सामने लायेगा वहीं मुद्रा की असलियत भी सामने लायेगा.

(4) बड़े नोटों के बंद किये जाने और नए नोट के चलन में आने से राजनीति में भी इसका सकारात्मक असर डालेगा. इससे निकट भविष्य में होने वाले चुनावों के समय धनबल की अधिकता देखने को नहीं मिलेगी. अवैध रूप से कमाए गए धन की अब कोई अहमियत नहीं होगी. ऐसे में धनबल से चुनावों को, मतदाताओं को प्रभावित करने वाले अपने प्रभाव को नहीं दिखा सकेंगे.

(5) नोटों के बंद किये जाने से और नई मुद्रा के चलन में आने से देश की आर्थिक स्थिति के सकारात्मक रूप से बढ़ने की सम्भावना है. अर्थव्यवस्था में ऐसे कदम के बाद सिर्फ असली मुद्रा का ही परिचालन हो रहा होगा. नकली नोटों का अस्तित्व जब अर्थव्यवस्था पर नहीं होगा तो अनेकानेक नकली कारोबारियों पर स्वतः अंकुश लगेगा.

केंद्र सरकार द्वारा नोटों को बंद किये जाने सम्बन्धी कदम उठाये जाने से प्रथम दृष्टया नागरिकों को परेशानी होना दिखाई देता है किन्तु ऐसा एक सप्ताह से अधिक नहीं होगा. बैंकों द्वारा मुद्रा को बदला जा रहा है, जमा किया जा रहा है, ऐसे में लोगों को बैंक से पुरानी मुद्रा के बदले नई मुद्रा मिल जाएगी. इसके साथ-साथ
नई मुद्रा शीघ्र ही चलन में आएगी, जिसके आने के बाद एटीएम द्वारा, बैंक द्वारा सहजता से मुद्रा की निकासी की जा सकेगी. एकबारगी समस्या भले ही दिख रही हो किन्तु देशहित में सरकार के इस कदम का स्वागत किया जाना चाहिए. इस फैसले से देश की आर्थिक स्थिति सशक्त होगी और निकट भविष्य में इसके सुफल देखने को मिलेंगे.

मोदी जी आधुनिक भारत के सरदार पटेल
फिर सरदार पटेल मिला है
गहन पंक में कमल खिला है
मोदी भारत का प्रधान है
सचमुच यह नेता महान है

मलहम.....कल्पना पांडेय
अपनी ख्वाइशों के वादों का इक टुकड़ा
खुद पर रख लो
जख्मी हौसलों को आराम मिलेगा
इक बार फिर इक नया आयाम मिलेगा !




आज बस इतना ही...
धन्यवाद।






















5 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात..
    बहुत निर्दयी है ये मोदी भी
    न लाज न शरम
    तड़ से कह दिया
    तलाक.
    तलाक...
    तलाक..
    हाय राम
    कासे कहूँ मैं
    किसे सुनाऊँ
    मैं दुःखड़ा अपना
    विदा कर दिया
    माला पहना के
    ....चलो
    किसी मंदिर के पेटी में
    में निवास करती हूँ
    -समयानुकूल रचनाएँ
    सादर

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  2. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  3. Chori se kamayi poonji ka bhog atashim ka samay poora hua, Paesanshniye krantikari niyam ka swagut hai ..NaMo bhai ka seena sach me majboot hai , Nidar hai .. Imaandari ka utsav hai paanch pakhware ke liye ....

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति कुलदीप जी ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर प्रस्‍तुति‍..मेरी रचना शामि‍ल करने के लि‍ए आभार

    जवाब देंहटाएं

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