निवेदन।


फ़ॉलोअर

बुधवार, 2 नवंबर 2016

474.....डेमोक्रेसी को समझ इंदिरा सोच भी मत पटेल के होते हुए

तीस अक्टूबर को सभी अखबारों के कर्मचारियो की छुट्टी थी
अखबार न छपे न बटे इकतीस अक्टूबर को
कल लौह पुरुष सरदार पटेल का जन्मदिन था

सादर नमन उनको



31 अक्टूबर, 1875-15 दिसम्बर 1950


उनके निधन के अवसर पर स्वर्गीय हरिवंशराय बच्चन की लिखी एक कविता

यही प्रसिद्ध लोहपुरुष प्रबल,
यही प्रसिद्ध शक्ति की शिला अटल,
हिला इसे सका कभी न शत्रु दल,
पटेल पर
स्वदेश को
गुमान है ।
सुबुद्धि उच्च श्रृंग पर किये जगह,
हृदय गंभीर है समुद्र की तरह,
कदम छुए हुए ज़मीन की सतह,
पटेल देश का
निगहबान है ।
हरेक पक्ष के पटेल तौलता,
हरेक भेद को पटेल खोलता,
दुराव या छिपाव से इसे गरज ?
कठोर नग्न सत्य बोलता ।
पटेल हिंद की निडर जबान है ।
- हरिवंशराय बच्चन (1950)

आज की पसंदीदा रचनाएँ....



इंतजार................ संजय वर्मा 'दृष्ट‍ि'
एक घर में उदास बैठी मां से
उदासी का कारण पूछा
तो किसी ने बताया कि -
इनकी बिटिया को क्रूर लोगों ने
गर्भ में ही मार दिया
जब से उदास है

Image result for हाथों में हाथ
इसी उम्मीद से.......सालिहा मंसूरी
हर-सुबह इसी उम्मीद से
उठती हूँ कि कभी न कभी
इक न इक दिन वो सुबह भी
जरूर आएगी जब तुम मेरा
हाँथ अपने हाँथों में थामकर


Image result for यादें
यादें.... मीना भारद्वाज
फुर्सत के पलों में तेरे साथ जिया
हर लम्हा याद आता है।।

हफ्तों से गुमसुम बादलों से ढका
आसमान का वो खाली कोना याद आता है।



खुश है जमाना आज .... अविनाश वाचस्पति
रोजाना नई स्‍कीमें लांच की जा रही हैं जो कि नि:संदेह मूर्ख बनाने की फैक्‍टरियां हैं – तीस रुपये खर्च करके दो हजार एसएमएस एक महीने में फ्री। यह मूर्खता एक रुपये रोजाना की दर से बेची जा रही है। इसी प्रकार कई मूर्खताएं दस रुपये रोजाना अथवा 200 रुपये महीने में भी धड़ल्‍ले से बिक रही हैं जिनमें आपको एक खास अपने नेटवर्क पर अनलिमिटेड टॉक टाइम दिया जाता है और आप अपने जीवन के कीमती पलों को फिजूल की बातें कर करके गर्क कर लेते हैं और अपनी बुद्धिमानीय कला पर मोहित होते हैं।


Image result for गोपेश जैसवाल
फ़िल्मी गानों की धुनों पर साहित्य चर्चा....गोपेश जैसवाल
‘इस पार, प्रिये मधु है तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा!
यह चाँद उदित होकर नभ में, कुछ ताप मिटाता जीवन का,
लहरालहरा यह शाखाएँ, कुछ शोक भुला देती मन का,
कल मुर्झानेवाली कलियाँ, हँसकर कहती हैं मगन रहो,


आज का शीर्षक..


देशभक्ति 
मन में होने
से कुछ
नहीं होता है
दिखानी
पड़ती है
उसकी
फोटो
लगाकर
सामने से
पूजा अर्चना
का थाल
सजाये हुऐ
अपने को
साथ में
दिखाकर
.......
आज्ञा दें यशोदा को
सादर



5 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    मेरी अपनी गलती..
    रचना चयन की सूचना देते समय
    दिन तो ठीक लिखी थी मैं
    पर तारीख 2 नवम्बर की जगह 1 नवम्बर
    कर दी मैं
    मूढ़मति जो ठहरी
    खेद है
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  3. बढ़िया प्रस्तुति । आभार 'उलूक' के सूत्र 'डेमोक्रेसी को समझ इंदिरा सोच भी मत पटेल के होते हुए' को आज की हलचल में स्थान देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभ संधया...
    सुंदर अति सुंदर...

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...