अखबार न छपे न बटे इकतीस अक्टूबर को
कल लौह पुरुष सरदार पटेल का जन्मदिन था
31 अक्टूबर, 1875-15 दिसम्बर 1950
उनके निधन के अवसर पर स्वर्गीय हरिवंशराय बच्चन की लिखी एक कविता
आज की पसंदीदा रचनाएँ....
इंतजार................ संजय वर्मा 'दृष्टि'
एक घर में उदास बैठी मां से
उदासी का कारण पूछा
तो किसी ने बताया कि -
इनकी बिटिया को क्रूर लोगों ने
गर्भ में ही मार दिया
जब से उदास है
इसी उम्मीद से.......सालिहा मंसूरी
हर-सुबह इसी उम्मीद से
उठती हूँ कि कभी न कभी
इक न इक दिन वो सुबह भी
जरूर आएगी जब तुम मेरा
हाँथ अपने हाँथों में थामकर
यादें.... मीना भारद्वाज
फुर्सत के पलों में तेरे साथ जिया
हर लम्हा याद आता है।।
हफ्तों से गुमसुम बादलों से ढका
आसमान का वो खाली कोना याद आता है।
खुश है जमाना आज .... अविनाश वाचस्पति
रोजाना नई स्कीमें लांच की जा रही हैं जो कि नि:संदेह मूर्ख बनाने की फैक्टरियां हैं – तीस रुपये खर्च करके दो हजार एसएमएस एक महीने में फ्री। यह मूर्खता एक रुपये रोजाना की दर से बेची जा रही है। इसी प्रकार कई मूर्खताएं दस रुपये रोजाना अथवा 200 रुपये महीने में भी धड़ल्ले से बिक रही हैं जिनमें आपको एक खास अपने नेटवर्क पर अनलिमिटेड टॉक टाइम दिया जाता है और आप अपने जीवन के कीमती पलों को फिजूल की बातें कर करके गर्क कर लेते हैं और अपनी बुद्धिमानीय कला पर मोहित होते हैं।
फ़िल्मी गानों की धुनों पर साहित्य चर्चा....गोपेश जैसवाल
‘इस पार, प्रिये मधु है तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा!
यह चाँद उदित होकर नभ में, कुछ ताप मिटाता जीवन का,
लहरालहरा यह शाखाएँ, कुछ शोक भुला देती मन का,
कल मुर्झानेवाली कलियाँ, हँसकर कहती हैं मगन रहो,
आज का शीर्षक..
देशभक्ति
मन में होने
से कुछ
नहीं होता है
दिखानी
पड़ती है
उसकी
फोटो
लगाकर
सामने से
पूजा अर्चना
का थाल
सजाये हुऐ
अपने को
साथ में
दिखाकर
.......
आज्ञा दें यशोदा को
सादर
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंमेरी अपनी गलती..
रचना चयन की सूचना देते समय
दिन तो ठीक लिखी थी मैं
पर तारीख 2 नवम्बर की जगह 1 नवम्बर
कर दी मैं
मूढ़मति जो ठहरी
खेद है
सादर
बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर यशोदा जी .
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति । आभार 'उलूक' के सूत्र 'डेमोक्रेसी को समझ इंदिरा सोच भी मत पटेल के होते हुए' को आज की हलचल में स्थान देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंशुभ संधया...
जवाब देंहटाएंसुंदर अति सुंदर...