निवेदन।


फ़ॉलोअर

शनिवार, 12 नवंबर 2016

484 ... भ्रष्ट




सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष










अनकहे शब्दो के भंवर में
खुद ब खुद फँस जाते,
सपने देखते नही तुम्हारे
जाने फिर क्यों गिनते हैं तारे,
दूर दूर तक थमा सन्नाटा





कई बार ऐसे हालात बनतें हैं, जब जीवन संघर्ष मे
खुद या परिवार को बचाने कि जद्दोजेहद मे विकल्पहीनता का
अहसास होता हैं, तब हम मजबूरन ही सही
जीवन संघर्ष मे खुद को बचाये रखने कि गरज से
भ्रष्टाचार का दामन थाम हि लेते हैं! जब जीवन कि 
नाव बिच समुन्द्र मे फँस जाती हैं, 
स्थापित उसूल और मर्यादायें भी बोझ लगती हैं! 











जिनसे थे दोस्ताने हमारे वो दुश्मनों की मानिंद हो गये
प्यार के पंछी दिल के पिंजरो को भी तोड़ के चले गये

सावन की झड़ी भी अब तेजाबी बारिश क्यो सी लगती है
दिल की हर डगर अब गहरी-गहरी खो सी क्यो लगती है



फिर मिलेंगे .... तब तक के लिए

आखरी सलाम


विभा रानी श्रीवास्तव



3 टिप्‍पणियां:

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...