सादर अभिवादन..
पर्व का दिन है..
सीधे चलते हैं रचनाओं की ओर......
अमानुषिक [कविता]..... डॉ महेन्द्र भटनागर
आज फिर खंडित हुआ विश्वास,
आज फिर धूमिल हुई
अभिनव जिदगी की आस।
ढह गए
साकार होती कल्पनाओं के महल।
जाहिद हुसैन ने फरमाया- “जी सर! चम्पावत से 7 किमी आगे लोहाघाट की ओर पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राज मार्ग-125 पर “खूना मलिक” के नाम से एक गाँव है। वही हमारा प्राचीन पहाड़ी गाँव है।
जिसमें आज भी केवल मनीहार लोग ही निवास करते हैं ।”
अच्छा जाहिद हुसैन यह बतलाओ कि टनकपुर के पास “मनीहार-गोठ” के नाम से
जो आपका गाँव है उसका इतिहास क्या है?
चले पटाखे
मन गयी दीवाली
संत्रस्त लोग
जो काँटा तुम्हारे पांव में चुभा है,
तुमको भी दुःख पहुंचाता है,
मुझे भी,
यह बात तुम भी जानते हो,
मैं भी,
अवकाश प्राप्त कर नौकरी के क्वाटर को छोड़ कर जब वे घर रहने जा रहे थे .... संजोग से मैं उस समय वहाँ थी .... घर पहुंचते रात हो जाने वाली थी .... मैं भाभी को बोली "सबके लिए यही से खाना बना कर ले चलते हैं ... मेरी बात खाना बनाने वाली सुनते ही मेरे पिता दुखित हो गए ..... घर पर उनसे बहुत बड़े भाई , भाई=पिता समान यानि मेरे बड़े बाबू जी और बड़ी अम्मा रहते थे ... जो खुद वृद्ध थे .... उनके बच्चे बाहर रहते थे .....
एक मुद्दत पहले गीली माटी में
घुटनों के बल बैठ कर
टूटी सीपियों और शंखों के बीच
अपनी तर्जनी के पोर से
मैनें तुम्हारा नाम लिखा था ।
ठीक है, उसे कंबल दे दो... फेसबुक से
वह बड़ा मुल्क भारत है ।
जहाँ की योजनाएं इसी तरह चलती हैं ।
और कहा जाता है कि भारत में सब समान हैं
सबका बराबर का हक़ है।
बस आज यहीं तक
कल फिर मिलते हैं
ढ़ेरों आशीष व अशेष शुभकामनाओं संग शुभ प्रभात छोटी बहना
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका
बहुत सुन्दर लिंक्स ! आज की हलचल में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका धन्यवाद यशोदा जी !
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स. मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंशुभ संध्या ओंकार भाई
हटाएंआपकी रचना सोमवार के लिए लिक हुई है
सादर
सखेदः
हटाएंआज भी है
सादर
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति । छठ पूजा की शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन.मेरी रचना शामिल करने के लिए हार्दिक आभार.
जवाब देंहटाएंसमझदारी भरी सलाह... बड़े बुजुर्गों की थोड़ी सी समझदारी परिवारों को आपस में जोड़े रख सकती है....
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स!