अपनी मस्ती में
कि
अचानक तड़प उठे,
तुम्हारी याद ने
अच्छा नहीं किया।
मन पाए विश्राम जहाँ.....अनीता
अभी शुक्रगुजार है सांसें
भीगी हुईं सुकून की बौछार से
अभी ताजा हैं अहसास की कतरें
डुबाती हुई सीं असीम शांति में
अभी फुर्सत है जमाने भर की
बस लुटाना है जो बरस रहा है
कविता मंच.....हितेश शर्मा
क़यामत से ही बस इक उम्मीद बाकी हो जिसे
फिर उसके लिए जहर से उम्दा जाम क्या होगा
उनके इंतज़ार ने अब तक इस दिल को ज़िंदा रखा
उनसे मिलने से अच्छा भला और पैगाम क्या होगा
और अंत में आज की शीर्षक कड़ी..
अन्तर्मथन.....डॉ. टी. एस. दराल
एक सेवानिवृत पति की दिनचर्या का हाल
डॉक्टर साहब , मेरे पति सारी रात नींद में बड़बड़ाते हैं , कोई अच्छी सी दवा दीजिये।
डॉक्टर : ये दवा लिख रहा हूँ , केमिस्ट से ले लेना। रोज एक गोली सुबह शाम लेनी है। आपके पति बड़बड़ाना बंद कर देंगे।
पत्नी : नहीं नहीं डॉक्टर साहब , आप तो कोई ऐसी दवा दीजिये कि ये साफ साफ बोलना शुरू दें। पता तो चले कि ये नींद में किसका नाम लेते हैं।
डॉक्टर : बहन जी , ये दवा आपके पति के लिए नहीं , आपके लिए है। आप उन्हें दिन में बोलने का मौका दें , वे नींद में बड़बड़ाना अपने आप बंद कर देंगे।
आज्ञा दें यशोदा को
कल यदि संजय भाई नहीं दिखे तो फिर मिलूँगी
बहुत उम्दा प्रस्तुति सुन्दर सूत्र चयन ।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात ! सुंदर तस्वीरों से सजी पठनीय हलचल..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया हलचल चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा...
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंBadhiya
जवाब देंहटाएंhardik dhanyvaad yashodaa ji
जवाब देंहटाएंaapne jo sthaan halchal me uske liye punah aabhaar