भारतीय नारी में..डॉ, नीलम महेन्द्र
माँ तो माँ होती है,
माँ की ममता का इस धरती पर कोई मोल नहीं,
वह तो अनमोल होती है।
यह केवल शब्द नहीं
अपितु हम सभी ने इन पलों को जिया है।
माँ की गोद में बैठकर
खुद को सबसे ज्यादा महफूज महसूस किया है।
छान्दसिक अनुगायन में.....कवि कैलाश गौतम
इसे देखकर जल जैसे
लहराने लगता है ,
थाह लगाने वाला
थाह लगाने लगता है ,
होंठो पर है हंसी
गले चाँदी की हंसली है
आपका-अख्तर खान "अकेला" में...आपका-अख्तर खान "अकेला"
मैं खिलौना था
तुम्हारा
खेलते खेलते
टूट गया तो क्या ,,
मेरा क्या क़ुसूर है
अजीब फितरत है
पलाश में...... अपर्णा त्रिपाठी
चाहा तुमने मुझको, ये मुझपर है अहसान तेरा
साथ मेरी सांसो के जो, साथी है अहसास तेरा
तेरी आरजू न बन पाऊं, खता नही हो सकती हूँ
गुज़ारिश में....सरिता भाटिया
अगर झूठ बोलूँ
शर्म से नजरें झुकाता है यह
अगर सच बोलूँ
शान से सर उठाता है
आय विल रॉक में......नितीश तिवारी
जब वक़्त गुजरता जाता है,
सपने बड़े हो जाते हैं।
पूरा करने को इन्हें,
हम जी जान लगाते हैं।
कविता-एक कोशिश में...नीलांश
हैं पूछते सवाल पर जवाब नहीं हो ,
आसमाँ तो चाहिए आफताब नहीं हो
और आज की शीर्षक रचना की कड़ी
मेरी धरोहर में.....यशोदा
मदर्स डे
यद्यपि है तो ये
पाश्चात्य परम्परा....
उन्होंने ही...
किसी को महत्वपूर्ण जताने
साल का एक दिन..
उसके नाम कर दिया
आज लिंक्स कायदे से अधिक हैं
आज्ञा दें कर फिर मिलते हैं
सादर
यशोदा
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंNice..
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंकिसी को घर मिला,किसी के हिस्से दुकान आयी।
जवाब देंहटाएंघर में सबसे छोटा था मैं, मेरे हिस्से माँ आई ।।
---- मुनव्वर राणा