सन 2014 की ऐतिहासिक पराजय के दो साल अगले हफ्ते पूरे होने जा रहे हैं।
इन दो साल में पार्टी ढलान पर उतरती ही गई है। गुजरे दो साल में एक भी घटना ऐसी नहीं हुई,
जिससे पार्टी की पराजित आँखों में रोशनी दिखाई पड़ी हो। पिछले दो साल में हुए चुनावों में उसे कहीं सफलता नहीं मिली। पार्टी ‘परिवार’ की छाया है। जिससे न तो वह बच सकती है और न उसके तले खड़े होकर शांति से जी सकती है। लोकसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी कार्यसमिति की बैठक में कहा गया था कि पार्टी के सामने इससे पहले भी चुनौतियाँ आईं हैं और उसका पुनरोदय हुआ है??
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति । वीडियो भी देखने लायक है जगह कौन सी है जानकारी नहीं दी गई है :)
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात भैय्या जी
हटाएंये तो यू ट्यूब ही बता पाएगा
सादर
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंसस्नेहाशीष छोटी बहना
उम्दा लिंक्स का चयन और सुंदर प्रस्तुतिकरण
बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु आभार
जवाब देंहटाएंशुभप्रभात...
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन....
बढ़िया हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंSundar prastuti
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