सादर अभिवादन..
आज भाई विरम सिंह को आना था
पर रात-दिन पढ़ाई की थकान उतार रहे हैं
पढ़ तो मैं भी रही हूँ...उसी में से कुछ आपके साथ साझा कर रही हूँ
कफन के नाम पर भी नफा नुकसान दिखता है
रंग खून का एक है पर छोटा बड़ा इंसान दिखता है
रोटी कपड़ा मकान का प्रश्न सदियों से उबल रहा
फुटपाथ पर इंसान, महलों में भगवान दिखता है -
हरी दूब की ओस पर, बिछा स्वर्ण कालीन
कोमल तलवों ने छुआ, नयन हुए शालीन
छँट जाती है कालिमा, जम जाता विश्वास
जब आती है लालिमा, पूरी करने आस
आइए, आज थोड़ा और धार्मिक हो जाएं :)
ये प्रस्तुति लीक से ज़रा हटकर है...
भारत एक अजीब देश है , कहते है यह एक सेक्युलर देश है मतलब हिन्दू लॉ या शरिया कई कोई असर देश के कानून पर नहीं पड़ना चाहिए , सबके लिए एक सामान कानून होना चाहिए जो धर्म आधारित नहीं हो पर ...... हिन्दू तीर्थ यात्री रोड टैक्स देते है पर मुस्लिमो को हज सब्सिडी दी जाती है क्यों?
ऐसे कई उदहारण है फिर भी कहते है भारत सेक्युलर देश है |
मगर कैसे ये कम से कम मुझे तो समझ नहीं आता|
और ये है आज की शीर्षक रचना..
दिल ...दिमाग ...और हम..... डॉ. प्रतिभा स्वाति
ठीक है यदि दिल सोच नहीं सकता तो हम उस सोच की तरफ़ चलें
जहां दिमाग सीधा हस्तक्षेप नहीं करता ! मनोविज्ञान ने अपना जाल धीरे -से फैलाया ________
चेतन - अर्धचेतन -अचेतन ______ जी हाँ , ये मन की अवस्थाएँ हैं :)
आज्ञा दें यशोदा को
फिर मिलते हैं
बहुत सुन्दर रविवारीय अंक ।
जवाब देंहटाएंशुभप्रभात....
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक चयन....
बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुंदर कडियों से सजा अंक।
जवाब देंहटाएंआभार यशोदा जी :)
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक चयन....
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