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गुरुवार, 24 दिसंबर 2015

मेरा पता है कि लापता हूँ मैं ..............159

आप सभी को संजय भास्कर का नमस्कार
 पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग में आप सभी का हार्दिक स्वागत है  !!


मेरा पता है कि लापता हूँ मैं..
कभी होता, उसके खर्राटों से वह ख़ुद जग जाता।
जग जाता के साथ लेटे सब न जग जाएँ।
सबके सोते रहने पर वह उठता। उठकर बैठ जाता। बैठना, थोड़ी रौशनी के साथ होता।
करनी चापरकरन पर  शचीन्द्र आर्य

पैसे के पीछे कभी तो दौड़ना छोड़िये
हालाँकि आजकल मनुष्य की औसत आयु ( लाइफ एक्सपेक्टेंसी एट बर्थ ) लगभग ७० वर्ष है ,
लेकिन मनुष्य की जिंदगी कब गुजर जाती है ,
पता ही नहीं चलता।
अंतर्मंथन पर  डॉ टी एस दराल

मेरे गाँव के कुत्ते
मेरे गाँव के कुत्ते
मान लो, उन्हें मिल जाए ऐसा कुछ मौका
कि, शहर  का देशाटन करने पहुंचे वो
मानो न, तो होगा क्या ?
सबसे पहले तो होगा नाम परिवर्तन
जिंदगी के राहें पर मुकेश कुमार 

तुम्हारे प्रेम के नशें में भी स्थिर हूँ
देर रात
मैं जब भी लिखता हूँ
कोई प्रेम कविता
लोग सोचते हैं
मैं नशें में होता हूँ
सुनो दोस्त,
लोग सही सोचते हैं
मेरी संवेदना पर नित्यानंद गायन 

कविताये कुछ नही कहती.
कभी-कभी कुछ कविताये,
कुछ नही कहती है...
ख़ामोश चुप सी बेतरतीब,
बिखरी सी रहती है...
कुछ कविताये कभी,
कुछ नही कहती है..
कभी-कभी कुछ कविताये,
'आहुति' पर शुष्मा वर्मा 

और अंत में मेरी एक पुरानी रचना माँ तुम्हारे लिए हर पंक्ति छोटी है

मेरी प्यारी माँ
तुम्हारे बारे में क्या लिखू
तुम मेरा सर्वत्र हो
मेरी दुनिया हो
तुम्हारे लिए हर पंक्ति छोटी है !
हर स्पर्श बहुत छोटा है
सारी दुनिया न्योछावर कर दू
शब्दों की मुस्कुराहट पर संजय भास्कर 


इसके साथ ही मुझे इजाजत दीजिए ...... अगले गुरुवार फिर मिलेंगे 

-- संजय भास्कर 


6 टिप्‍पणियां:

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