गणेश चतुर्थी व्रत
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हफ्ते भर का चिट्ठा
करते हैं हम नाटक
ना जाने कब नींद लौटकर
सपने हमें दिखाती !
हम सारे संदेश तुम्हारे
सपनों में पढ़ते हैं
सुबह लौटकर आओगे तुम
फिर उम्मीद जगाती !
वृद्ध-दिवस
"कोई है "?
"बहू......"
"बेटी सुधी ..."
"जरा मेरी करवट तो बदल दो ।" "एक ही करवट सोये.............."
क्या माँ ! हर समय कुछ न कुछ कहती रहती हो। तुम्हें तो पता ही है कि
हमलोग वृद्धाश्रम जाने की तैयारी........"
"बेटी कोई तो मेरे पास......"
"कौन रहेगा माँ जी ?"आज वृद्ध दिवस है। थोड़ा वृद्धाश्रम के लोगों कों
भोजन - वस्त्र भी तो दान कर दें।"
"थोड़ा हमें भी तो पुण्य कमाने का समय दें।"
"कुछ ओढ़ा दो बहू! ठंड......"
"कोई ठंड -वंढ नहीं...
जब से दान के कम्बल लाई हूँ।आपकी नजर.."
प, फ, ब, भ, म

प-वर्ग में आकर बसते हैं
सारे रिश्ते जो भाते हैं,
परम परमात्मा, भगवान भी
पंचम सुर में ही गाते हैं !
कैसे कोई प्रेम जता सकता है !
अब बताओ भला
जब कम पड़ रहे हों शब्द
जब हल्के लग रहे हों आभार के वचन
कैसे कोई प्रेम जता सकता है
उनके प्रति जिनसे है उसका जीवन,
उसका अस्तित्व
आज बस
सादर वंदन
सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंआभार
वंदन
बहुत सुंदर अंक।
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