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शनिवार, 15 मार्च 2025

4428 ...मनाने दो मुझे भी जान-ए-मन त्यौहार होली में

 सादर अभिवादन

अल्टीमेटली
आधा महीना गुज़र गया
मार्च का
तीन-चार दिवस और मनाने को है
चलिए मनाते है इसे भी,
मान जाएगा....
रचनाएं देखे



गले मुझ को लगा लो ऐ मिरे दिलदार होली में
बुझे दिल की लगी भी तो ऐ मेरे यार होली में

नहीं ये है गुलाल-ए-सुर्ख़ उड़ता हर जगह प्यारे
ये आशिक़ की है उमड़ी आह-ए-आतिश-बार होली में

गुलाबी गाल पर कुछ रंग मुझ को भी जमाने दो
मनाने दो मुझे भी जान-ए-मन त्यौहार होली में


'रसा' गर जाम-ए-मय ग़ैरों को देते हो तो मुझ को भी
नशीली आँख दिखला कर करो सरशार होली में

- भारतेन्दु हरिश्चंद्र



























आज बस
सादर वंदन

5 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय मेम, मेरी लिखी रचना #होली में कुछ #चुहलबंदी को इस मंच पर शामिल करने के लिए , बहुत धन्यवाद ।
    सभी संकलित रचनाएं बहुत ही उम्दा है । सभी आदरणीय को बधाइयां ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात ! होली के रंगों से सराबोर करने वाला सुंदर अंक, आभार यशोदा जी !

    जवाब देंहटाएं
  3. मेरी रचना को,"पांच लिंको" के आनंद में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, यशोदा दी। आप सभी चर्चाकारों की मेहनत काबिले तारीफ है जो आप लोग अपने कार्य की निरंतरता बनाये रखे हुए है।

    जवाब देंहटाएं

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