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मंगलवार, 25 मार्च 2025

4438...आत्मा का चरम संगीत

मंगलवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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अधमाः धनमिच्छन्ति धनं मानं च मध्यमाः!उत्तमाः मानमिच्छन्ति मानो हि महताम् धनम् !!


हिन्दी अर्थ : निम्न कोटि के लोगो को सिर्फ धन की इच्छा रहती है, ऐसे लोगो को सम्मान से मतलब नहीं होता. एक मध्यम कोटि का व्यक्ति धन और सम्मान दोनों की इच्छा करता है वही एक उच्च कोटि के व्यक्ति के सम्मान ही मायने रखता है. सम्मान धन से अधिक मूल्यवान है।


असली प्रश्न यह नहीं कि मृत्यु के बाद
जीवन का अस्तित्व है कि नहीं,
असली प्रश्न तो यह कि 
क्या मृत्यु के पहले तुम
जीवित हो?


आज की रचनाएँ-

चहक उठती है सुबह सुबह  
गुलमोहर की टहनियों में
कोई चिड़िया ।
गाती है आत्मा का चरम संगीत
प्रेम तोड़ता नहीं , जोड़ता है परम से    .
मनाती है आनन्द का उत्सव ,
अपने आप में डूबी हुई
एक उम्रदराज स्त्री ,
जब होती है किसी के प्रेम में ,
गाती गुनगुनाती हुई
उम्र की तमाम समस्याओं को
झाड़कर डाल देती है डस्टबिन में ।   


उन जिद्दी हवाओं की खुशबू 
रोज एक गीत लिखती है
कि दुनिया एक रोज 
सबके जीने के लायक होगी 
न कोई हिंसा होगी, न कोई नफरत 



कहीं   हल  नहीं  , तो   चुप   रहो    शांत   हो   जाओ ,  अशांति  और    क्या    माँगती   है  -  शांति । लयबद्ध  एकाकार    साधन  की   खोज   में  फिरने  से  अच्छा   , एक  बार   खँगाल   ले ढंग   से  ,  व्यर्थ   की खोजबीन   से  बच  जायेंगे  ,   जो  चीज   निकट   में   है  उसको  खोजना  इधर - उधर  भटकना   बेकार   हीं   तो   है ,  और    फंस  भी   गए    तो कोई   बुरी   बात    नहीं   ,   क्या  दुबारा  हम   उसे   खोज  नहीं    पायेंगे  ,   ऐसा   तो   कोई  नियम  नहीं   ।


खेत में जाकर उसे निहारना,

उसकी मिटटी को सूँघना,

मेड पर बैठकर, दूब को नोचना

और कभी-कभी

मुंह में रखकर चबाना;

और महसूस करना उसका स्वाद,

यह भी मेरे लिए जरूरी काम है !


 
सूखी आँखों से बहता पानी है —
कभी न पूरी होने वाली 
प्रतीक्षा है
शिव के माथे पर चमकता
अक्षत है।


 ★★★★★★★


आज के लिए इतना ही 
मिलते हैं अगले अंक में।

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