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शुक्रवार, 17 नवंबर 2023

3947 ..सूप, हथेली पर उठे पावन अर्घ्य में

 सादर अभिवादन


छठ का पर्व सूर्य को समर्पित पर्व है 
और पूरे चार दिन तक मनाया जाता है। 
बिहार, झारखंड में विशेष रूप से मनाए जाने वाले इस पर्व को 
कई गीत भी समर्पित हैं, 
पेश हैं कुछ चुनिंदा गीत
.....
नारियल-केरवा घोउदवा,
साजल नदिया किनार
सुनिहा अरज छठी मईया,
बढ़े कुल-परिवार
घाट सजेवली मनोहर,
मईया तोरा भगती अपार
लिहिएं अरग हे मईया, दिहीं आशीष हजार
पहिले पहिल हम कईनी,
छठी मईया व्रत तोहर
करिहा क्षमा छठी मईया,
भूल-चूक गलती हमार








मन को शून्य कर, शील सम-वृत्ति को,
पूर्ण रूप देने में, समवेत स्वर तृप्ति है।
सूप, हथेली पर उठे पावन अर्घ्य में,
जीवन – संघर्ष की… जो स्वीकार्यता है,
खुद को खोकर, समुदाय मोक्षभाव है।

छठ संगीत में अध्यात्म रहस्य भाव,
प्राण प्रिय मोक्ष सुखद अनुभूति है।
यह परा जीवन का प्रेम, प्रातः अर्घ्य,
की अभिव्यक्ति, अद्भुत पूर्णाहुति है।

गंगा जल तरण करते दीप जोत में,
एकमना होने का सतत संदेश है।
संगीत भाव में, बाती – सा जलकर,
आत्म – दान के संग – संग, सदानीरा,
नारी शक्ति की जय – जयकार है।





खड़े है सब घाटों में,
हैं सूप लिए हाथों में,
लगा रहे जयकारे,
जय हो छठ मैय्या ।

सूप भरे ठेकुआ से,
सेब नारंगी केला से,
खड़े नारियल लेके,
जय हो छठ मैय्या ।




कार्तिक शुक्ल छठी के दिन से आगे के दिन चार,
सूर्य देव और छठ माता का मन से करो मनुहार।
अंशुमान की छठ मैया रिश्ते में लगती भगनी,
जिनकी कृपा से जल जाते हैं रोग दुःख मिल अग्नी।

व्रत रख करके अर्घ्य चढ़ाओ, सूर्य देव को पूजो,
तरह-तरह पकवान चढ़ाओ छठ माँ सम न दूजो।
आरती करिए स्तुति गाइए, बोलिए मीठी बोली,
सब पर कृपा करेंगी माता भर दें सबकी झोली।




अक्सर, जग आए इक एहसास....
क्यूं, छल जाए अनमनस्क मन,
क्यूं, छलके कोई नयन,
क्यूं, रुक जाए सांस,
क्यूं, टूटे आस,
क्यूं, विरोधाभास!
....
करिहा क्षमा छठी मईया,
भूल-चूक गलती हमार

आज बस
कल  भाई रवीन्द्र जी आएंगे
सादर

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