सादर अभिवादन
नरक चौदस, काली चौदस और
हनुमान जयन्ती सब एक साथ
चलिए रचनाएं देखें...
राह तकूँ साजन की निसदिन
निसदिन गीत प्रेम के लिखती
लिखती जी भर प्यारी पतियाँ
पतियाँ जिन्हें मैं खुद ही पढ़ती
पढ़ती, पढ़ कर उड़ती जाऊँ
जाऊँ पिया को संग ले आऊँ
आऊँ जब आ जाना संग
संग जमायेंगे हम रंग !
बिना प्लास्टिक के एक दिन ...संदीप शर्मा
सच है कि प्लास्टिक इस संपूर्ण विश्व के लिए चुनौती बनता जा रहा है, उसे पूरी तरह खत्म न कर पाने की कसक और विश्व में उसके उपयोग का बढ़ता ग्राफ चिंता बढाने वाला है लेकिन क्या इसके बीच हम एक छोटा सा प्रयास कर सकते हैं। एक बहुत छोटा सा लेकिन जरुरी प्रयास- केवल एक दिन बिना प्लास्टिक के उपयोग के हमें रहना चाहिए, उस एक दिन हम कतई प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे, सिंगल यूज प्लास्टिक तो कतई घर नहीं लाएंगे...।
शहर छीने
गाँव का माटी-घर
मिटती रही
देहरी पर हँसी,
मिट गया है
गाछ का चबूतरा,
जो सुनता था
चिनार की छाँव में ...अनीता जी
सुबह साढ़े आठ बजे हाउसबोट से उस शिकारे पर सारा सामान रखवाया गया, जो हमें घाट संख्या नौ पर ले जाने आया था।गर्म कपड़ों के कारण छोटे-बड़े सूटकेस व बैग कुल मिलाकर दो दर्जन से ज़्यादा नग हो गये थे। शिकारे में अब भी काफ़ी जगह थी, एक अन्य हाउसबोट से तीन जन के एक परिवार को भी सामान सहित उसमें बैठाकर नाविक हमें झील से गुजार कर ले जाने लगा।
आज बस
कल सखी मिलेगी
सादर
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआप कल भी आइएगा
सादर
आभार आपका...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुप्रभात ! दीपावली के शुभ अवसर पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ, शानदार प्रस्तुति, आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्रों का संकलन आज की हलचल में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे ! सभी साथियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी साथियोँ को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं