सादर अभिवादन
नवंबर मास चालू आहे
22 नवंबर तक के दिन अस्त-व्यस्त रहेंगे
झेल लीजिएगा
सादर
अब रचनाएं देखिए ....
महक .... मीना भारद्वाज
नींबू की पत्तियों की महक थी
या...,
भूरी बालू मे पड़ी सावनी रिमझिम की
हाथ में खुरपी थामे
वह समझ नहीं पाई
शब्द आधारित ( दोहे) ...सुजाता प्रिय
रस लोलुप भ्रमर यहाँ,भुन-भुन गाता गान।
फूल-फूल पर बैठ कर,करता है रसपान।।
गुलशन देख महक रहा, फूल खिले चहुं ओर।
फूलों की खुशबू यहाँ, लेकर आता भोर ।
अलगाव ....सरिता सैल
अलगाव ये शब्द
एक अरसे से चल रहा है
मेरे साथ यदाकदा
आंखों से बहता ही रहता है
शब्द सीढ़ी ...साधना वैद
प्रेम भाव का जगत में नहीं आज कुछ मोल
चौंक पड़े हैं कान भी सुन कर मीठे बोल
है स्वभाव का दास वो आदत से मजबूर
किसको हम अपना कहें दिल है गम से चूर
आज बस
कल फिर मिलेंगे
लाजवाब सूत्र संयोजन में “महक” को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदयतल से आभार यशोदा जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंसुन्दर सूत्र सार्थक हलचल ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !
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