शीर्षक पंक्ति: आदरणीया कविता रावत जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक में आज की पसंदीदा रचनाएँ-
पोषण पर दुर्भिक्ष घिरा है
खंखर काया खुडखुड़ ड़ोले
बंद होती एकतारा श्वांसे
भूखी दितिजा मुंँह है खोले
निर्धन से आँसू चीत्कारे
फिर देखा हर्ष अकाल पड़ा।।
कविता:स्त्रीपाठ-1:एक स्त्री में देवीत्व- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
कभी देखो एक स्त्री को
मंगलदीप में प्रदीप्त
बाती की तरह
तब दिखेगा रूप
एक स्त्री में
देवीत्व का।
पंक्ति बद्ध सब ओर सजे हैं।।
अपने अपारम्परिक अंदाज़ के लिए मशहूर थे उर्दू शायर जौन
एलिया, पढ़िए उनकी कुछ नज्में
सर्वहित संकल्प दीपोत्सव मनायें, ऐसा मिलकर कोई दीप जलायें!
न हो कोई अपने
घर में बेघर
बड़े-बुजुर्गों
से न रहे कोई बेखबर
रखे ख्याल कोई दिल न दु:खायें
*****
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
सर्वहित संकल्प
जवाब देंहटाएंदीपोत्सव मनायें,
ऐसा कि
मिलकर सब
एक दीप जलायें!
सुंदर अंक
आभार
सादर
बहुत सुंदर अंक।सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं दीपावली पर्व की ढेरों शुभकामनाएंँ 🙏🙏❤️❤️
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रवींद्र जी, मेरी ब्लॉगपोस्ट को इस शानदार मंच पर सथान देने के लिए आपका आभार , धन्यवा यशोदा जी को भी
जवाब देंहटाएंदीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई आप सभी को।
जवाब देंहटाएंशीर्ष पंक्तियों सहित सम्पूर्ण प्रस्तुति बहुत शानदार।
सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं।
मेरी रचना को ब्लॉग में शामिल करने के लिए हृदय से आभार ।
कविता रावत जी के ब्लॉग पर कॉमेंट नही हो पा रहा बहुत सुंदर कविता हैं उनकी हार्दिक शुभकामनाएं।
सादर सस्नेह।
सभी साथियोँ को पंच दिवसीय दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति में मेरी ब्लॉगपोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार!