निवेदन।


फ़ॉलोअर

मंगलवार, 14 नवंबर 2023

3944 ...सात रंग के घोड़ा दौड़े सात किरिणिया झलकेला

 सादर अभिवादन

सखी अवकाश पर है 

वो अब अगले बुधवार को ही मिलेगी
आज कुछ ऊटपटांग रचनाए हैं
आप अवश्य पसंद करेंगे ...

एक रचना छठ पर ...
छठ गीत.....
उगीं हे सुरुजदेव घोड़वे पे,
उगीं हे आदितदेव रथवे पे।

नदिया नहाइल बानी
पनिया पौराइल बानी
कौनी बेरिया आइल बानी घटवे पे
उगीं हे सुरुजदेव रथवे पे ।

बदरा उमड़ाइल बाटे
कोहरा कुहकाइल बाटे
लालियो न झलकेला गगनवा में
उगीं हे आदितदेव रथवे पे ।
उगीं हे सुरुजदेव घोड़वे पे।

बदरा के चीर दीहीं
कोहरा के फाड़ दीहीं
उग जाईं नारियल के झड़वे पे
उगीं हे सुरुजदेव घोड़वे पे।

सात रंग के घोड़ा दौड़े
सात किरिणिया झलकेला
सात सोहागिन अँचरा में
सूप दौरवा सजलेवा
लीहीं न अरगिया रथवे पे।
उगीं हे सुरुजदेव घोड़वे पे।
-कश्मीरा सिंह , फेसबुक से




याद है मुन्ना भाई एमबीबीएस फिल्म का वह दृश्य जिसमें अस्पताल का एक कर्मचारी फर्श साफ कर रहा होता है और लोगों के बार-बार आने-जाने से सफाई बरकरार नहीं रह पा रही होती, जिससे वह गुस्से से भुनभनाता है, तो मुन्ना भाई बने संजय दत्त उसके पास जा उसको गले लगा कर उसके काम की तारीफ करते हैं तो वह बिलकुल शांत हो प्यार से कहता है, अब रुलाएगा क्या ! जा काम करने दे....... ! यह बदलाव आता है, उस एक प्यार भरे स्नेहालिंगन से, जो पल भर में सारे तनाव को खत्म कर रख देता है ! फिल्म में इसे जादू की झप्पी कहा गया है ! झप्पी पंजाबी से हिन्दी में आया शब्द है जिसका उर्दू-पंजाबी रूप है जफ्फी





मृदा हो मूर्ति की ऐसी,
घुले जो नित्य पानी में
सुरक्षित जैवमंडल हो,
प्रदूषण से बचाना है।।

जले नित वर्तिका मन की,
रहे आलोक हर पथ पर
तभी जगमग दिवाली नित,
यही अब अर्थ पाना है।।





विप्र मन में  कर  रहे विचार,
सज्जा इसकी अप्सरा जैसी।
वेश भूषा अरु  हाव भाव से,
मनो दिखती  गणिका  जैसी।।




आज बस
कल  पम्मी सखी मिलेगी
सादर

3 टिप्‍पणियां:

  1. अति उत्तम संकलन
    मेरी रचना शामिल करने के लिए हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. सम्मानित कवियित्री ने मुझे भेजा गया आमंत्रण वापस ले लिया?

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...