पौने पाँच साल अकड़ो और
तीन माह व्यवहार रखो जी
तिनके काम नहीं आएंगे
हाथों में पतवार रखो जी
कौन कसौटी पर कसता है
वादों का अंबार रखो जी
अख़बार के ऊपर के दोनों पन्नों पर दोनों साइड फुल पेज विज्ञापन छपे हुये थे. आखिरी पेज पर भी ऐसा ही विज्ञापन था. न्यूज़ तीसरे पन्ने से शुरू हुयी थी. उस पर भी आधे पन्ने का विज्ञापन. विज्ञापन इतने आकर्षक और लुभावने थे कि समाचारों की ओर नज़र डालना मुश्किल हो रहा था. नया मकान खरीदना हो या कार बदलनी हो. मॉल्स की सेल हो या किचन अप्लायेंसेज़ पर भारी छूट. इन ख़बरों से अख़बार भरा पड़ा था. पूरा का पूरा एक परिशिष्ठ विज्ञापनों को ही समर्पित था. सब तरफ तकनीकी उत्पादों के नये-नये मॉडल्स को देख के ऐसी फीलिंग आ रही थी, मानो मेरा घर, घर न हो कर कोई म्यूज़ियम हो.
धन्यवाद श्वेता जी...बाज़ार को पाँच लिंकों का आनन्द में शामिल करने के लिये...🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंसंकलित रचनाओं का पाठन रुचिकर लगा... धन्यवाद सुन्दर रचनाओं से परिचय कराने के लिये...🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंश्रेष्ठ रचनाओं से सुसज्जित प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसारगर्भित तथ्य देते व्यक्तव्यों सहित सुंदर प्रस्तुति प्रिय श्वेता।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं।
सभी को दीपोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
सस्नेह
बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन प्रस्तुति
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