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गुरुवार, 16 नवंबर 2023

3946...तुम ना आए कितनी देखी राह...

शीर्षक पंक्ति:आदरणीया आशा लता सक्सेना जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

गुरुवारीय अंक में पढ़िए आज की पसंदीदा रचनाएँ-

हाइकू 

तुम ना आए

कितनी देखी राह

देखी राह

हार गई अँखियाँ

राह देखते

उदास नहीं होता...

ढूंढता है चटख उजालों में गहन अंधेरा अक्सर

किये निज पापों का कभी पश्चाताप नहीं होता

काटता है उसी  डाल को जिसपर बैठा होता है

जलाकर अपना घर  किंचित उदास नहीं होता।

मध्य कहीं

खोए वो पल, सपनों सी रातों में,

आए ही कब, हाथों में,

अल्हरपन में, बस उन्हीं पलों के चर्चे,

मध्य कहीं....

करता ये मन, हर बातों में!

टूटा दिल जुड़ रहा है

आओ फिर लौट चले

सोलह-सत्रह की आयु

जिसमें थी इक आस बहुत

साथ में कोई कहाँ थी

चित्रगुप्त महाराज की जय

करें कर्म का लेखा-जोखा,चित्रगुप्त भगवान।

लेखपाल की कलम चले जब,लिखे न्याय आख्यान।।

पाप-पुण्य का भान रहे नित,उत्तम रहें विचार

देव मुझे आशीष मिले यह,मिले कलम को मान।।

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव 


3 टिप्‍पणियां:

  1. शानदार अंक
    आनंद आ गया
    आभार..

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं

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