सालों बाद मैंने
जाना
कि दुःखी होने के
लिए
ज़रूरी नहीं होता
रोना
और नहीं सिसकने का
मतलब
नहीं होता ख़ुश
होना.
बूँद गिरी औ बीज
हँस पड़े।
देख रहे थे हम
वहीं खड़े॥
हँसी बीज की जब
रंग लाई।
क्यारी हरियाई
लहराई॥
*****
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
सालों बाद मैंने
जाना
कि दुःखी होने के
लिए
ज़रूरी नहीं होता
रोना
और नहीं सिसकने का
मतलब
नहीं होता ख़ुश
होना.
बूँद गिरी औ बीज
हँस पड़े।
देख रहे थे हम
वहीं खड़े॥
हँसी बीज की जब
रंग लाई।
क्यारी हरियाई
लहराई॥
*****
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
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बेहतरीन प्रस्तुति.मेरी रचना को स्थान देने के लिएआभार.
जवाब देंहटाएंशुभकामनाओं के संग हार्दिक आभार आपका
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य प्रस्तुति हेतु साधुवाद
सुंदर रचनाओं से सज्जित अंक।मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
जवाब देंहटाएंसुन्दर अंक! मेरी रचना 'दानवीर' को इस सुन्दर पटल का हिस्सा बनाने के लिए हार्दिक धन्यवाद भाई रवीन्द्र जी!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
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