कि ऐसे भी मुलाक़ात होगी,
न तुम पहचानोगी मुझे,
न मैं पहचानूँगा तुम्हें।
प्रेरक अभिव्यक्ति।इसे पढ़कर याद आया
कुदरत के तेवर भी गरम हो गए
नफरत के झंडे हो रहे बुलंद
कैसे ये हमारे धरम हो गए
कल का विशेष अंक लेकर
आ रही हैं प्रिय विभा दी।
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
कल का विशेष अंक लेकर
आ रही हैं प्रिय विभा दी।
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जी ! .. नमन संग आभार आपका ...
जवाब देंहटाएंशानदार अंक
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर
आभार श्वेता जी |
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स सुंदर
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक्स .आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरी रचना " हठी से पाला " को पाँच लिंकों का आनंद में स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद Sweta sinha !🙏😊
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