जय मां हाटेशवरी......
सादर नमन......
ऐ मातृभूमि तेरी जय हो, सदा विजय हो ।
प्रत्येक भक्त तेरा, सुख-शांति-कान्तिमय हो ।।
अज्ञान की निशा में, दुख से भरी दिशा में,
संसार के हृदय में तेरी प्रभा उदय हो ।
तेरा प्रकोप सारे जग का महाप्रलय हो ।।
तेरी प्रसन्नता ही आनन्द का विषय हो ।।
वह भक्ति दे कि 'बिस्मिल' सुख में तुझे न भूले,
वह शक्ति दे कि दुःख में कायर न यह हृदय हो ।।
अब पढ़िये आज के लिये मेरी पसंद.....
वो
नज़्म में
लिपटकर
रोटियाँ नहीं आतीं
कोई तो जगह
बता दो साहब
जहाँ बेची,
बेटियाँ नहीं जाती
तुम्हारा साथ
तुम्हारे सिर को अपनी गोद में रख कर
सहलाते हुए तुम्हारे बाल
तुमसे कहूं सब कुशल होगा मंगल होगा ।
कुछ ऐसा है तुम्हारा और मेरा साथ।
तेरे कहने से कब्र नहीं खुदती
किया करते हैं आज हम मस्ती
मर जाए हम ना सोचें
झगड़ों का शोर नहीं मस्ती का दौर है
निस दिन रात प्यारी नर्गिसी भोर है
दोहे "मृग नयनी की बात"
आदत पल-पल बदलता, कलयुग में इंसान।
देख जगत के ढंग को, बदल रहा भगवान।।
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सब अपने को कर रहे, सच्चा सेवक सिद्ध।
मांस नोचने के लिए, मँडराते हैं गिद्ध।।
काग़ज़ की नाव
मिट्टी के खिलौने बिखरे पड़े हैं दूर तक
बेतरतीब,
मुंडेर पर रोज़ उतरता है चांद, शीशे की
हैं सीढ़ियां,
फिर लौट कर उसी जगह पे काश हम
पहुंच पाते,
अंत में आप सभी को......
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं......
धन्यवाद....
बहुत सुन्दर रचनाएं
जवाब देंहटाएंऐ मातृभूमि तेरी जय हो, सदा विजय हो ।
जवाब देंहटाएंप्रत्येक भक्त तेरा, सुख-शांति-कान्तिमय हो ।।
सुंदर अंक..
आभार
सादर
बहुत सुंदर प्रस्तुति
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