।। प्रातः वंदन।।
"उषा का प्राची में अभ्यास,
सरोरुह का सर बीच विकास॥
कौन परिचय? था क्या सम्बन्ध?
गगन मंडल में अरुण विलास॥
रहे रजनी मे कहाँ मिलिन्द?
सरोवर बीच खिला अरविन्द।
कौन परिचय? था क्या सम्बन्ध?
मधुर मधुमय मोहन मकरन्द॥"
जयशंकर प्रसाद
इसी संदेशप्रद उक्तियों के साथ आनंद उठायें आज की सम्मिलित रचनाओं से..✍️
मुझे तुमसे मोहब्बत है
तुम्हें मैं प्यार करती हूँ
तुम्हारे नाम पर भारत
मैं दिल कुर्बान करती हूँ।
तुम्हारी ही धरा पर मैं
पली हूँ शान से अब तक ..
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भारत तो है अब #बॉस !
सूर्य चंद्रमा हुये पास ,
कम पड़ता है #आकाश ,
ऐसा उड़ता #भारत आज ,
मँगवा दो और आकाश
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कहीं से लौट के आऊँ
तिरंगा -जय हिन्द जय भारत वन्देमातरम |
को जयहिंद और शुभकमनाएं. एक पुरानी ग़ज़ल
एक ग़ज़ल देश के नाम -
कहीं से लौट के आऊँ तुझी से प्यार रहे
हवा ,ये फूल ,ये खुशबू ,यही गुबार रहे
कहीं से लौट के आऊँ तुझी से प्यार
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अप्रतिम अंक
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर
बहुत सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार स्थान देने हेतु।
आदरणीय मेम ,
जवाब देंहटाएंमेरी लिखी रचना " भारत तो है अब #बॉस !" को इस अंक में स्थान प्रदान करने के लिए बहुत धन्यवाद एवं आभार ,।
सभी संकलित रचनायें बहुत ही उम्दा है । सभी आदरणीय को बधाइयाँ ।
सादर ।
आपका हृदय से आभार |नमस्ते और हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से आभार |हार्दिक शुभकामनाएं|सादर अभिवादन सहित |
जवाब देंहटाएंबहुत बढियां प्रस्तुति
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