।। प्रातः वंदन।।
सांप के कान नहीं होते
हम बेमतलब
जिरह की बीन
बजाने पर तुले हैं
सांप दूध नहीं पीते
हम बेमतलब
कटोरी भर
दूध पिलाने पर तुले हैं..
⚜️
व्यापारी का लड़का सोच मे पड़ गया कि क्या बापू ने झूठ कहा था कि बंदर नकल करते हैं ! उधर बंदर सोच रहा था कि आज बापू की सीख काम आई कि मनुष्यों की नकल कर कभी बेवकूफ मत बनना ! इसके साथ एक बात तो तय हो गई कि यदि आज संसार में जागरूकता बढ़ रही है, शिक्षा का प्रसार हो रहा है तो हमें किसी गलतफहमी..
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बढ़कर है कहीं उनसे
कुछ अंतस की बातें
कुछ पर्दें के पीछे की कहानियां
घटी और घट रहीं है जो..
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सूरज
की है अपनी ही -
मजबूरी, शाम से
पहले उसका
डूबना है
ज़रूरी। जीवन की नाव,
और अंतहीन बहाव,
फिर भी घाट
तक
पहुंचना है ज़रूरी।
हम भी खुश और अगला भी खुश
मैं भगवन को शीश नमाता
श्रद्धा से परशाद चढाता
वो ना खाते , मैं ही खाता ..
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।। इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️
शानदार अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
असीम आभार, नमन सह ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत बढियां प्रस्तुति
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