सादर अभिवादन
हिंदू धर्म में आज के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है और
इस दिन व्रत रखकर सांपों को दूध का सेवन कराया जाता है।
सभी को नागपंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं...
चलिए आज की रचनाओं की ओर
बाँध लेती होगी तुम भले ही
लम्बे-घने बालों को अपने,
समेट कर अब जुड़े
ऊपर अपनी गर्दन के,
बरसाती उमस भरी गर्मियों में,
बनाती हुईं ...
ख़मीर भरे घोल से,
परिवार भर को प्रिय
मूँग दाल के कड़क चीले,
अपने रसोईघर में ..
तुम बैराग में डूबकर देखो
एक घूँट ही सही,ज़रा पी कर देखो
सूखा हो दरख़्त कोंपल फूट जाती हैं
हृदय तृप्त, आँखें झूम जाती हैं
इसमें गहरा और भी गहरा
संगीत है पसरा
कोलाहल हो या एकांत
हृदय में संगीत का झरना बहता है।
घूमते-घूमते एक घने नीम के वृक्ष के नीचे पहुँचा। वैसे तो मैं जंगल में ही था और आसपास कई घने वृक्ष थे लेकिन यह थोड़ा अलग था। किसी ने शाखों को काट छांट कर बकायदा सीढ़ी का आकार दिया था, इससे ऊपर चढ़ना बहुत आसान था। मैं भी अपनी मानसिक उलझन में था, चढ़ता चला गया और ऊपर एक चौड़े शाख पर आराम से बैठकर सुस्ताने लगा। सफर कितना भी आसान हो, चढ़ाई तो चढ़ाई होती है। बैठकर आसपास के दृष्यों का आनंद ले ही रहा था कि एक युवा कुल्हाड़ी लेकर धड़ल्ले से चढ़ता चला आया
बीरबल ने एक युक्ति की कि जिस नाव में अकबर बैठा था, उसी नाव में एक दासी को अकबर के नवजात शिशु के साथ बैठा दिया गया।सचमुच में वह नवजात शिशु नहीं था। मोम का बालक पुतलाबनाकर उसे राजसी वस्त्र पहनाये गये थे ताकि वह अकबर का बेटा लगे। दासी को सब कुछ सिखा दिया गया था।
नाव जब बीच मझधार में पहुँची और हिलने लगी तब
'अरे.... रे... रे.... ओ.... ओ.....' कहकर दासी ने स्त्री चरित्रकरके बच्चे
को पानी में गिरा दिया और रोने बिलखने लगी। अपने बालक को
बचाने-खोजने के लिए अकबर धड़ाम सेयमुना में कूद पड़ा। खूब इधर-उधर गोते मारकर,
बड़ी मुश्किल से उसने बच्चे को पानी में से निकाला। वह बच्चा तो क्या था
मोम का पुतला था।अकबर कहने लगाः "बीरबल !
यह सारी शरारत तुम्हारी है। तुमने मेरी बेइज्जती करवाने के लिए ही ऐसा किया।"
और अंत में आज का उत्सव गीत
तक्षक कन्या विवाह का राज़
कोई स्त्री पचा न पायी
जिसकी सजा आज भी
गुड़ियां पीट पीट कर पायी।
आज बस इतना ही
सादर
बहुत सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद स्थान देने हेतु।
सादर
सुन्दर संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंजी ! .. नमन संग आभार आपका .. मेरी बतकही को अपनी प्रस्तुति के साथ परोसने के लिए .. सादर ... पुनः आभार .. बस यूँ ही ...
जवाब देंहटाएंआश्चर्यजनक .. इस प्रस्तुति में मेरी बतकही बिना औपचारिक आमंत्रण के टँक गयी 😃😃 और एक दिन दिखा था कि औपचारिक आमंत्रण के बावजूद मेरी बतकही नदारद थी प्रस्तुति से .. 🙏🙏
जवाब देंहटाएंइस प्रस्तुति में तो आज वाली अपनी बतकही को झाँकने के क्रम में इस कल वाली प्रस्तुति में अपनी खटिया-हुक्का वाली तस्वीर से इसे देख पाया ..😂😂😂
बेहद सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई