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सोमवार, 14 अगस्त 2023

3849..भारतीय स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आप सभी को सादर नमन

 


सादर नमस्कार
भारतीय स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर
आप सभी को सादर नमन
सबसे पहले ये फिल्म देखिए




"बहुत आसान है। फिर कभी आओ तो ध्यान रखना। तुम्हें बाज़ार में प्रवेश के पहले विभिन्न पोशाकों में हमारे कुछ प्रतिनिधि मिल जाएँगे। हो सकता है, वह आपस में लड़ते-झगड़ते नज़र आएँ, मगर इस पर ध्यान मत देना, हम सब ‘एक’ हैं। उनसे मिलोगे, तो उनमें से कोई एक तुम्हें सीधा यहाँ ले आएगा। बस रास्ते में नाक की सीध में उसके साथ चले आना। बाज़ार में अगर किसी और व्यक्ति से मिले तो वह तुम्हारे दिल में नफ़रत भर देगा। यहाँ आजू-बाजू नफ़रत के सौदागर बहुत हैं।"





बसंत को
हर कोई देख रहा हैं

बसंत हैं ही ऐसा
मन को मोह लेनेवाला

पलाश को
हरकोई देख रहा हैं

पलाश हैं ही ऐसा
आत्मा को लुभा देनेवाला





चाँद-तारे तेरे बनाये रास्तों पर
भ्रमण करते
नदियाँ जो मार्ग बदल लेतीं, कभी-कभी
उसमें भी तेरी रजा है





लगता है,
मुझे ज़्यादा अच्छा लगता है,
जब तुम मिलती हो
स्मृतियों में मुझसे,
शायद इसलिए
कि तब डर नहीं होता
तुम्हारे लौट जाने का.





हँसते हँसते
खेल गए जान पर
शहीद हो गये
माँ की आन पर
एक वो थे
जिनके लिए
देश सब कुछ था
देश की आजादी
सबसे बड़ी थी
एक ये हैं
जिनके लिए
देश कुछ भी नहीं
देश का मान सम्मान
कुछ भी नहीं
बस कुछ है तो
अपना स्वार्थ,
अपनी सम्पन्नता और
अपनी सत्ता ……
.......
आज बस
कल फिर
सादर

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह बहुत सुंदर प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. विविधरंगी प्रस्तुति, स्वतंत्रता दिवस की याद दिलाती हुई, आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. मेरी रचना 'मोहब्बत की दुकान' को इस सुन्दर पटल का हिस्सा बनाने के लिए आपका बहुत आभार भाई दिग्विजय जी! सभी रचनाकारों को उनकी सुन्दर प्रस्तुतियों के लिए बधाई!

    जवाब देंहटाएं

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