सादर अभिवादन
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
निवेदन।
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फ़ॉलोअर
मंगलवार, 31 जनवरी 2023
3655 ..मतलब वही... ग्रहदोष लगता है
सोमवार, 30 जनवरी 2023
3654 / फ़िजाएँ बेईमान लगती हैं.
नमस्कार ! यूँ आज शहीद दिवस है ........ महात्मा गाँधी जी की पुण्य तिथि को शहीद दिवस के रूप में मनाते हैं ...... जब - जब महात्मा गाँधी का नाम आएगा गोडसे का नाम स्वयं ही याद आ जायेगा ..... ये ऐसा विषय है जिस पर कुछ न कहा जाये वही बेहतर है यूँ मैं गोडसे को हत्यारा मानती हूँ देशद्रोही नहीं .....
खैर ..... आइये चलते हैं आज की हलचल पर ... ............ ब्लॉग्स पर आने वाली पोस्ट क्या हलचल कर रही है , यही देखना है ....... आज कल बसंत छाया हुआ है ...... प्रकृति में भी और ब्लॉग्स की रचनाओं में भी . आइये हम भी बसंत का आनंद लें ........
और बसंती ऋतु
झुंड में लहरों पे उड़ना
चहचहाना चोंच भरना।
एक लय एक तान लेके
फ़लक पे जाके उतरना॥
नए वर्ष का भी एक माह बीतने वाला है .......मात्र एक दिन बचा है .... और जनवरी का आखिरी इतवार लोग कुछ यूँ मना रहे हैं ....
ऊँची उड़ान
सफर जिंदगी का भाग रहा है
अपने वेग से,
चेहरे पर इस हँसी के पीछे दर्द
बहुत है..
यहां हौसलों ने जिद की है |
ऊँची उड़ान के लिए हौसले और संकल्प की ज़रूरत होती है , लेकिन बचपन तो बस इन्द्रधनुषी सपनों में रहता है ....... आइये आज की ही तारिख की एक पाँच साल पुरानी पोस्ट पढ़िए ....
इंद्रधनुषी स्वप्निल बचपन
हम यहाँ बचपन के सपनों की रंगीनी से सराबोर हैं लेकिन आज का बचपन किन परिस्थितियों से जूझ रहा है ये जानना बहुत ज़रूरी है ........ सबको इस विषय में जागरूक रहना आवश्यक है .... विशेष रूप से जिनके बच्चे अभी स्कूल में पढ़ रहे हैं ........ बहुत बार अनजाने में ही ऐसा कुछ हो जाता है जिससे बच्चे और माता पिता भी परेशानी में आ जाते हैं ....... आइये जानते हैं इसके बारे में ......
वेपिंग…एक नया खतरा !
क्या आप जानते हैं कि Vape यानि कि E Cigarette क्या है ? मैं तो नहीं जानती थी। यदि आप भी नहीं जानते तो जरा गूगल पर सर्च करिए और जान लीजिए। यदि आपके घर में युवा या टीनएजर हैं तो बैठ कर उनको उसके नुक़सान बता कर सख्त ताकीद करिए क्योंकि ये एक ऐसी लत है जो बहुत तेजी से स्कूल के बच्चों में पैर फैला रही है।
अभी फिलहाल हमारे एक परिचित का बेटा अज्ञानता के कारण मुसीबत में आ चुका है। उसकी क्लास के कुछ बच्चे क्लास में वेप ले रहे थे अज्ञानतावश उसने भी उसकी सुगंध से आकृष्ट होकर ले ली। टीचर तक बात पहुँच गई और सख़्त एक्शन लिया गया। घर पर खबर भेजी गई। रेस्टीकेट करने की बात चल रही है। बच्चे का कहना था कि वो सुगन्ध से आकर्षित हुआ उसे पता नहीं था कि ये क्या चीज है ? यदि उसे पता होता तो मुसीबत से बच जाता।
पूरी जानकारी लीजिये लेख को पढ़ कर ...... और जहाँ तक हो सके बच्चों को भी इसके बारे में बता कर आगाह करें ...... जितना ज्यादा ये इ - नेट वर्किंग है उतने ही ज्यादा खतरे बढ़ रहे हैं . नयी नयी तरह की नशे की चीज़ें ईज़ाद हो रही हैं .....हम जैसों को तो कभी कभी पुराना ज़माना ही याद आ जाता है ......
वो फ़ोन कॉल
हमारे समय में कम्प्यूटर नहीं था, नेट नहीं था, मोबाइल नहीं थी। किसी को जरूरी समाचार देना होता तो शहर में हरकारा दौड़ाया जाता, बात दूर, दूसरे राज्य की हो तो टेलीग्राम किया जाता। घर में किसी की बीमारी की खबरें तो खत का हिस्सा भी नहीं बनती थी, साफ छुपा ली जाती। तर्क यह होता, "बिचारे को क्यों परेशान किया जाय? आकर भी क्या कर लेगा!"
घर में कोई मर जाय तो सीधे टेलीग्राम होता....Come soon. यहाँ भी मौत की खबर छुपा ली जाती, "बिचारा, अधिक दुखी हो जाएगा तो आएगा कैसे?"
कितनी ही बातें यूँ ही याद आ जाती हैं ....... तार का नाम सुनते ही घर में कोहराम सा मच जाता था ....... भले ही कोई ख़ुशी की बात हो ...... वैसे ख़ुशी पर टेलीग्राम कम ही आते थे ....... अब तो टेलीग्राम का अस्तित्व ही समाप्त हो गया है ...... सच कितना बदल गया है सब कुछ ...... यहाँ तक कि इंसान भी ......
लोग बदल गए हैं
सुना है, लोग बदल गए हैं
अमृत-काल' की 'गणतंत्रीय सूचना' :
प्रतिवर्ष भ्रमणार्थियो के लिए खुलनेवाला 'मुग़ल गार्डन' इस वर्ष 'अमृत उद्यान' (नामांतरण) होने के बाद ही 31 जनवरी 2023 से खुलेगा।
सामान्य जानकारियां शेष नागरिकों के लिए :
1. 'भारतीय राष्ट्रपति भवन' के अंदर, रायसीना हिल्स पर 15 एकड़ में स्थित है मुग़ल गार्डन।
2. 26 जनवरी 2023 से 'मुग़ल गार्डन' का नाम 'अमृत उद्यान' कर दिया गया है।
शेष जानकारी ब्लॉग पर जा कर लें ........कल यानि २८ जनवरी को नर्मदा जयंती थी ..... इस बात की जानकारी मुझे फेसबुक पर एक लेख पढ़ने से हुई ........ और उसके बाद ही ब्लॉग पर माँ नर्मदा की स्तुति में एक खूबसूरत रचना पढ़ने को मिली .... जिसे आप सबके साथ साझा कर रही हूँ .....
माँ नर्मदे ! उत्साह का आशीष दो माँ ...
गुंजार
तू जगा रहा है निज गुंजार से
और हम न जाने
किन अंधेरों में सोए हैं
एक क्षण के लिए
तुझसे नयन मिलते हैं तो |
किस कदर इंसान हैरान है ... परेशान है कि उसे सब कुछ बेईमान ही लगता है ..... कुछ ऐसा ही कह रही है ये ग़ज़ल ......
फ़िजाएँ बेईमान लगती हैं.
मुकद्दस हवाएं भी परेशान लगती हैं।
पातों की खड़खड़ाहट तूफान लगती हैं।
आग से शोर तो लाजमी है बस्तियों में,
महलों की कैफ़ियत शमशान लगती हैं।
अब अधिक तूफ़ान को न लाते हुए आज लिंक्स का सिलसिला यहीं ख़त्म कर रही हूँ ........ मिलते हैं एक छोटे से ब्रेक के बाद ...... तब तक के लिए ......
नमस्कार
संगीता स्वरुप .
रविवार, 29 जनवरी 2023
3653....क्या पता कल वक्त खुद अपनी तस्वीर बदल ले।
जय मां हाटेशवरी.....
सादर नमन......
वक्त से लड़कर जो नसीब बदल दे,
इंसान वही जो अपनी तकदीर बदल दे,
कल क्या होगा कभी मत सोचो,
क्या पता कल वक्त खुद अपनी तस्वीर बदल ले।
अब पेश है आज के लिये मेरी पसंद.....
आया बसन्त, आया बसन्त
हिम हटा रहीं पर्वतमाला,
तम घटा रही रवि की ज्वाला,
गूँजे हर-हर, बम-बम के स्वर,
दस्तक देता होली का ज्वर,
सुखदायी बहने लगा पवन।
मैं और मेरी माँ
मौन में माँ नजर आती है
मैं हर रोज़ उसमें माँ को जीती हूँ और
माँ कहती है-
”मैं तुम्हें।”
जब भी हम मिलते हैं
हमारे पास शब्द नहीं होते
कोरी नीरवता पसरी होती है
वही नीरवता चुपचाप
गढ़ लेती है नई कविताएँ
दिल न जाने कहां
ख़ामोश है, कितनी दिशा,
चीखकर, कभी, गूंजती है निशा,
चुप रौशनी के साये,
यूं बुलाए, मुझको किधर!
वो कहकशां!
दिल था यहीं, अब न जाने कहां?
पतंग
चाहे जितना ऊपर जाओ
पैर जमीन पर ही रखो
हवा का रुख पहचानों
डोर अपनी मजबूत रखो
सबको लेकर साथ चलो ।
पुल,
अपनी सुविधा के लिए दूसरों ने
तुम्हें किनारों से जकड़ दिया है,
वे तुम्हारे सहारे नदी पार कर रहे हैं,
पानी में डुबकी भी लगा रहे हैं,
पर तुम चुपचाप देख रहे हो.
धन्यवाद।
शनिवार, 28 जनवरी 2023
3652... घोंघा
हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...
जिसको लाभ – हानि की कुछ समझ नहीं है वह बिलकुल घोंघा बसन्त है...
टर्नर के कोश में घेंटु यानी गला अथवा गर्दन का उल्लेख भी है और इसकी तुलना भी गले के घुमावदार उभार से की गई है। कण्ठ (गला ), गण्ड (उभार, ग्रन्थि), कण्ड (जोड़) जैसे शब्द एक ही कड़ी के हैं। गलगण्ड यानी गले का उभार। कई लोग इसे गले की घण्टी भी कहते हैं। घूर्णन (घुमाव), घूम, घूमना, घण्टा, घण्टी, घट, घाटी जैसे कई शब्दों में इसे समझा जा सकता है।
करकट की छत के नीचे लगी प्लाई की फाल्स सीलिंग के बारे में उनका कहना था कि वह तो अंग्रेजों के घोड़ों के लिए भी 'आवश्यक आवश्यकता' की श्रेणी में आता होगा। वह न होती तो मई-जून के महीनों में, जब करकट की वजह से इन कमरों में अदृश्य आग जल रही होती, घोड़े शर्तिया बगावत कर बैठते और अंग्रेजों को यह साबित करने में अपने कई इतिहासकारों को झोंकना पड़ता कि चूँकि घोड़ों का सामंतवाद के साथ करीबी रिश्ता रहा है
अब खाली हो
असहाय
खालीपन के
एहसास से परे
बन चुके हो
खिलौना
खेलते हैं तुम्हें
रेत से बीन-बीन
बच्चे
कब तक केंकड़ों, साँपों और जोकों से
दुनिया बच पाएगी ?
खोल में छिपना अब बन्द करें,
सूमों में दंश भरें ।
पानी में वह रहता था,
नहीं किसी से डरता था.....
तभी वहां आया एनाकोंडा,
तुरन्त निकला फोड के अण्डा....
अगर निगल जाता उसको,
उसका असली नाम था डिस्को...
शुक्रवार, 27 जनवरी 2023
3651...खिलखिलाता बसंत
शुक्रवारीय अंक में
भ्रमर पुंज की गुनगुन सुनकर,
कलियाँ भी इठलाई ।
द्विज वृन्दों की मिश्रित सरगम,
नव जागृति ले लाई ।
और कोई भी संकल्प नहीं
आत्मसम्मान से जीने का
इससे अच्छा है विकल्प नहीं
आज़ादी को भरकर श्वास में
दो सलामी सम्मान से
जब तक सूरज चाँद रहे नभ पे
फहरे तिरंगा शान से....
हर ओर गौरव गान हो अभिमान से।।
रख स्वावलंबी आज अपना ध्येय भी।
पूरा न हो कोई प्रयोजन दान से।।
ब्रज में यह उत्सव अत्यंत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। जहां प्राय भारत में अन्य जगह इस उत्सव पर लोग पीले वस्त्र धारण कर वाग्देवी श्री सरस्वती मां का पूजन अर्चन करते है वही दूसरी और ब्रज में यह उत्सव कुछ अलग ही ढंग से मनाया जाता है। वसंत पंचमी के दिन से ब्रज के सुप्रसिद्ध ४५ दिवसीय होलीकोत्सव का प्रारंभ हो जाता है। वसंत पंचमी को ब्रज में होली का प्रथम दिन माना जाता है।
गुरुवार, 26 जनवरी 2023
3650...इस गणतंत्र उठ रहे कुछ सवाल...
शीर्षक पंक्ति:आदरणीय बृजेन्द्र नाथ जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
74 वें गणतंत्र दिवस एवं बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
15 अगस्त 1947 को हमारा देश ब्रिटिश सत्ता की ग़ुलामी से आज़ाद हुआ और 26 जनवरी 1950 से हमारा अपना संविधान लागू हुआ अर्थात स्वतंत्र से गणतंत्र बनने में कुछ वर्षों का समय लगा। हमारे देश का संविधान लिखित है जिसमें समय-समय पर देश की परिस्थितियों के अनुसार संशोधन होते रहते हैं। गणतंत्र दिवस पर देश की शक्ति, शौर्य और सांस्कृतिक गतिविधियों की झलक 'कर्तव्य-पथ' (एक साल पहले तक 'राजपथ) पर पेश की जाती है।
ऋतुराज बसंत का आगमन हो चुका है। वाग्देवी सरस्वती माँ का जन्मोत्सव बसंत पंचमी के दिन धूमधाम से मनाया जाता है। नई फ़सल और रंग-बिरंगे फूल व विभिन्न प्रकार की पत्तियों की चमकदार हरीतिमा मन मोह लेती है।
आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
इस गणतंत्र उठ रहे कुछ सवाल (कविता)
आफ़ताबों की हिम्मत ऐसी बढ़ेगी कि
अब लौट कर
कभी तो दिगम्बर वतन में आ...

भेजा है माहताब ने इक अब्र सुरमई
लहरा के आसमानी दुपट्टा गगन में आ
तुझ सा मुझे क़ुबूल है, ज़्यादा न कम
कहीं
आना है ज़िन्दगी में तो अपनी टशन में आ
एक देशगान -आज़ादी के दिन वसंत है
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वतनपरस्ती जन-जन में हो
देशभक्त हो माली,
सरहद पर अपनी सेना की
गाथा गौरवशाली,
फर्ज़ निभाते बारिश, आंधी
ओले, ग्रीष्म तपन में.
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झील के उस पार दिखता,
नीड़ जो आधा झुका।
डालियों पे बैठ उसके,
गीत जो मैंने लिखा॥
आज उन गीतों को गाने का,
बड़ा सुंदर समय।
*****
फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
बुधवार, 25 जनवरी 2023
3649..एक ऊर्जा..
।।प्रातः वंदन।।
"भोर की लाली हृदय में राग चुप-चुप भर गयी !
विश्व आज देखे भारत को
एक नवल इतिहास बन रहा,
युगों-युगों से जो नायक था
पुनः समर्थ सुयोग्य सज रहा !
श्रीमती मिथिलेश दीक्षित द्वारा मधुदीप जी को भेजे गए प्रश्न व मधुदीप जी के उत्तर..
प्रश्न : हिन्दी की प्रथम लघुकथा, उद्भव कब से, प्रथम लघुकथाकार
उत्तर : हिन्दी की प्रथम लघुकथा किसे माना जाये ---इस विषय में मतभेद हैं | श्री कमल किशोर गोयनकाजी तथा अन्य कुछ