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गुरुवार, 26 नवंबर 2020

1957 ..महानायक बना प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंचा दिया

सादर अभिवादन
बिटिया का विवाह हो रहा
इटावा मेंं
हार्दिक शुभकामनाएँ 

आइए रचनाएँ देखें...



मेरा भी मन करता है 
कोई मुझको प्यार करे ,
स्नेह दे ....
मैं खूबसूरत नहीं ,
क्या ये दोष है मेरा ?
कितना बुरा लगता है मुझे 






कितना भी चीत्कार करो, 
ख़ुद को निर्दोष प्रमाण करना, 
हर वक़्त सहज नहीं,
कभी कभी मौन हो जाना चाहिए, 
सिर्फ़ रिश्ता तोड़ना ही मोहभंग नहीं,





अभिनेता-अभिनेत्रियों की छोटी-बड़ी खूबियों, 
अंतरंग रिश्तों, जायज-नाजायज संबंधों, 
वैभव व विलासितापूर्ण रहन-सहन को 
बढ़ा-चढ़ा कर अवाम के सामने रखा जाने लगा। 
कुछ लोगों ने पैसे के बल पर कुछ पत्रकारों को 
अपना पैरोकार बना उनको 
अपनी छवि को निखारने-सुधारने का काम सौंप दिया। 
जिन्होंने उन्हें तरह-तरह के उपनामों और विशेषणों से 
नवाज उन्हें नायक से महानायक बना 
प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंचा दिया


ऐसा नहीं कि 
बातें जो अच्छी न लगे 
उसमें कोई  बुराई हो 
हो सकता है कि 
मानस पटल पर 
उसने अभी तक 
न स्वीकृति पाई हो ।




शरद भोर~
बादलों के ऊपर
बैठी बिल्ली
...
बस
कल आएंगी सखी श्वेता
सादर

11 टिप्‍पणियां:

  1. सस्नेहाशीष संग असीम शुभकामनाएँ छोटी बहना

    सराहनीय प्रस्तुतीकरण

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात । सुंदर प्रस्तुति । मेरी रचना को स्थान देने हेतु हृदयतल से आभार ।

    जवाब देंहटाएं

  3. मेरी रचना को इस मंच पर स्थान देने के लिए आभार दी।

    जवाब देंहटाएं
  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  5. सम्मिलित कर मान देने हेतु अनेकानेक धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  6. सभी रचनाएँ अपने आप में अनूठी हैं, विविध रंगों की छटा बिखेरता हुआ पांच लिंकों का आनंद मुग्ध करता है। मुझे स्थान देने हेतु आभार - - नमन सह।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुतीकरण उम्दा लिंक संकलन
    मेरी रचना को स्थान देने हेतु हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

    जवाब देंहटाएं

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