यथायोग्य सभी को प्रणामाशीष
दुनिया कहती है...
जिसका 'उदय'होता है,
उसका 'अस्त' होना तय है!
लेकिन
"छठ पर्व" सिखाता है़,,
जो 'अस्त' होता है..
उसका 'उदय' तय है।
विश्व को सन्देश बिहारियों की ओर से...
कहते हैं ढ़ाई दिन के लिए धरा आँगन बेटी मायके आती हैं ... छठ के पारण के प्रसाद के संग
मैंने देखा था उसे
खिड़की से बाहर तांकते हुए
शून्य में
आखिर उसे शून्य से ही
शुरुआत करनी होंगी
रिश्ते-नाते
घर-परिवार
यहाँ तक कि जिन्दगी भी
तन और मन मैंने साथ लिया है, बचपन सारा यहीं छोड़ दिया है,
नही चाहिए कोई भी हिस्सा, पर खत्म भी न मेरा किस्सा।
आए जब कोई तीज त्यौहार, मुझे याद कर लेना एक बार,
मन में उठे जब कोई हिलोर, हम आ रहें बस कह देना एक बार।
वह अपने को संयत रखने की भरसक कोशिश कर रहा था
पर उसके आँख की कोरें बार बार भीग जाती थीं
वह रूमाल को चश्मे के कोनों के पास लाकर
चुपके से उन्हें पोंछ लेता था
वह घर के सामने बैठे तीनों दोस्तों की ओर
देखने से बच रहा था
विकास -'यार अविनाश... सबसे पहले घर पहुंचते ही होटल अमृतबाग चलकर बढ़िया खाना खाएंगे...
यहाँ तेरी ससुराल में खाने का मज़ा नहीं आया।' तभी पास में खड़ा अविनाश का छोटा भाई राकेश बोला -'हा यार..पनीर कुछ ठीक नहीं था...और रस मलाई में रस ही नहीं था।' और वह ही ही ही कर जोर जोर से हंसने लगा। अविनाश भी पीछे नही रहा -'अरे हम लोग अमृतबाग चलेंगे, जो खाना है खा लेना... मुझे भी यहाँ खाने में मज़ा नहीं आया..रोटियां भी गर्म नहीं थी...।'
सादर नमन..
जवाब देंहटाएंमायके में
बेटी का निवास
बस ढाई दिन का
इसी ढाई दिन में
समूचा परिवार बंध जाता है
आभार..
सादर नमन..
एक से बढ़कर एक सुंदर कविताओं का संकलन ।
जवाब देंहटाएंसादर
मैंने देखा था उसे
जवाब देंहटाएंखिड़की से बाहर तांकते हुए
शून्य में
आखिर उसे शून्य से ही
शुरुआत करनी होंगी
रिश्ते-नाते
घर-परिवार
यहाँ तक कि जिन्दगी भी ..।..बहुत सुंदर..अभिभूत करने वाली रचना..।
Nice BLOg And Great Content thank
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़ियां प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक सुंदर कविताओं का संकलन । lucky patcher
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