पुराने जमाने की कहावत है
रेल, मेल और जेल
कभी बंद नहीं होते
आज कुछ विशेष सोच है मेरी
आपको स्त्री विमर्श कुछ पढ़वाया जाए
पर अफसोस..सोचा हुआ कब हुआ किसी का
फिर भी रचनाएँ तो है न...
झूठा यह मधुदेश
...
आज बस
सादर
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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उत्तम चयन..
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
उम्दा लिंक्स चयन.. सराहनीय प्रस्तुतीकरण...
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई
सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार.
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जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत शुक्रिया और आभार
सुंदर प्रस्तुति। happynewyear
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