सादर अभिवादन।
अब आसान कहाँ होता है
दुश्मन की नज़र में रहना,
हाँ, इससे आसान होता है
ताज़ा ख़बर में बने रहना।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
आइए पढ़ते हैं आज की चंद पसंदीदा रचनाएँ-
जिन होठों से गीत हैं छूटे
उन पर तान सजा दू़
जिन आँखों से सपने रुठे
सपने सरस सजा दूँ।
कोई ऐसा गीत सुना दूँ ।
भूल जाते हो तुम..... सुधा सिंह 'व्याघ्र'
जब तक तुम्हारा चित्त
यह गवाही न देने लगे
कि तुमने मेरे जीवन में मेरे
साथी के रूप में प्रवेश किया है
और तुम्हें अपने कर्तव्यों का पालन
अब शुरू कर देना चाहिए
कड़वी जिंदगी का टॉनिक !!!.... सदा
ये सुधियाँ भी
हुई बावरी देखो
चंचल मन।
किस #मोड़ पर #मिलेंगे वो... दीपक कुमार भानरे
मोड़ नहीं सकते कदमों को ,
छोड़ नहीं सकते सपनों को ,
जलती रहेगी आशा की लौ ,
किसी मोड़ पर मिलेंगे वो ।
कर दिया है तूम्हें मुक्त..... सरिता सैल
जब कभी पड़ता था
तुम्हारे माथें पर बल
और सिमट जाती थी
ललाट की सीधी सपाट रेखाएं
मैं रख देती थी धीरे से
तुम्हारे गम्भीर होंठो पर
अपनी उंगलियों को
मिसेज दीक्षित भाग-5.... अनुराधा चौहान
विनिता ने संस्कार के लिए घर में ढेर सारे खिलौने जगह-जगह रख रखे थे। संस्कार अंदर पँहुचते ही अपने खिलौनों में उलझ गया। कुमुद बहुत दिनों बाद घर में लौटी तो विनिता ने उसे दरवाजे पर रोक दिया।
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी गुरूवार।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
बेहतरीन चयन..
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
सराहनीय प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
बहुत सुंदर प्रस्तुति। पढ़ कर आनंद आया। सभी रचनाएँ बहुत ही सुंदर और सद्भाव जगाने वाली हैं। मिसेज़ दीक्षित जो एक पारिवारिक कहानी है, उसे पढ़ कर विशेष आनंद आया ,माँ और नानी को भी सुनाया। पारिवारिक स्नेह जीवन का बहुत ज़रूरी अंग है और इस खानी में मन-मुटाव भूल क्र अच्छे संबंध दिखाने का भाव बहुत ही अच्छा है। सुंदर प्रस्तुति के लिए आभार व आप सबों को प्रणाम।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही बेहतरीन लिंक्स एवम प्रस्तुति ... बधाई सहित शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसुंदर संयोजन
जवाब देंहटाएंरचना को ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर साझा करने के लिए यादव सर और उनकी टीम का बहुत आभार और धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं बहुत सुंदर है ।
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