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सोमवार, 16 नवंबर 2020

1947 ...बकवासी ‘उलूक’ फिर से निकली है धूप

दीपावली के बाद का पहला नमस्कार 
ज़ियादा बात न करें
बस जरा सा मुस्कुराएँ..

पर्यटकों का एक समूह मगरमच्छ की झील को देखने गए थे, 

उस झील मे मगरमच्छ पाले जाते हैं ।जब वे लोग बीच में 

जाकर मगरमच्छ को देख रहे थे तभी झील का मालिक चिल्लाकर 

घोषणा करता हैं कि: "जो कोई भी पानी में कूदेगा और तैरते हुए किनारे तक वापस आ जाएगा, उसे 10 मिलियन डॉलर प्राप्त होंगे।वहाँ पर उपस्थति पर्यटकों का पूरा समूह बिल्कुल सन्न था ।

अचानक, एक आदमी पानी में कूद गया। 

वह मगरमच्छ द्वारा पीछा किया गया, 

लेकिन भाग्य अच्छा था कि वह बच गया। ।

मालिक ने घोषणा की: "पहली बार मुझे कोई विजेता मिला है !!!"

अपना पुरस्कार प्राप्त करने के बाद, वह व्यक्ति और उसकी 

पत्नी होटल के कमरे में लौट आए।

आदमी अपनी पत्नी से कहता है: "मैं खुद नहीं कूदा था ... 

किसी ने मुझे धक्का दिया !!!

"उसकी पत्नी मुस्कुराई और शांति से बोली: " वह मैं थी "

कहानी से सीख:
हर पुरुष की सफलता के पीछे किसी औरत का हाथ होता है 
उसे वर्तमान स्थति से थोड़ा सा धक्का देने के लिए 

जल्दी से पिटारा खोलें...

गहरी रात ... जीवन कलश

इक दीप जला है, घर-घर,

व्यापा फिर भी, इक घुप अंधियारा,

मानव, सपनों का मारा,

कितना बेचारा,

चकाचौंध, राहों से हारा,

शायद ले आए, इक नन्हा दीपक!

उम्मीदों की प्रभात!



उन्वान से ऊपर  ...अग्नि शिखा


रौशनी लुटाने के लिए, बिखरे

पड़े हैं, राज पथ के दोनों

किनारे अनगिनत

ख़्वाबों के

पंख,

कोई नहीं मौजूद दूर तक उनकी - -

अंतिम इच्छा बताने के लिए,

आतिशबाजी की शोर में

कहीं गुम हो गए वो

सभी हासिए के लोग



इस साल दिवाली में ...कविताएँ


इस साल दिवाली में 

बुझ गया एक दीया,

जिसे बुझना नहीं था.


उसमें तेल पूरा था,

उसकी बाती ठीक थी,

हवाएं भी ख़ामोश थीं,

फिर भी वह बुझ गया.



चिंतन ...काव्य कूची


दोष पराली पर लगे ,कारण सँग कुछ और।

जड़ तक पहुँचे ही नहीं ,कैसे हो उपचार ।।


बिन मानक क्यों चल रहे ,ढाबे अरु उद्योग ।

सँख्या वाहन की बढ़ी ,इस पर करो विचार।।


ताजा तरीन
उलूक फिर से फार्म में


रोज का रोज ना कही

हफ्ते पंद्रह दिन

ही सही

कुछ तो कर बबाल


चल

कुछ तो निकाल

बहुत दिन हो गये

अब


कुछ भी सही

‘उलूक’

आज फिर से

कुछ तो लिख डाल ।
...
बस
सादर



9 टिप्‍पणियां:

  1. दीप पर्व मंगलमय हो। आभार दिग्विजय जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर प्रस्तुति. मेरी कविता शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  3. असीम शुभकामनाओं के संग साधुवाद श्रम साध्य प्रस्तुति हेतु

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभ दीपोत्सव । खूबसूरत प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर प्रस्तुति व संकलन। मेरी रचना शामिल करने हेतु आभार - - दीपावली की असंख्य शुभकामनाएं - - नमन सह।

    जवाब देंहटाएं
  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं

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