शीर्षक पंक्ति: आदरणीय डॉ. टी. एस. दराल जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
आइए पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
करवाचौथ.... अनुराधा चौहान 'सुधी'
करवाचौथ दिवस यह पावन
गीत गूँजते घर-घर में।
खुशियाँ सबकी झोली भर दो
दीप लिए गाती कर में।
अर्घ्य चढ़ाएं मंगल गाएं
छलनी से दीप दिखाती
चाँद खिला अम्बर……
करवा चौथ स्पेशल...डॉ.टी.एस.दराल
माना कि हमारा वर्षों का साथ है,
किन्तु आपकी उम्र और आपकी सेहत, आपके ही हाथ है।
जब रोजाना जिम जाते थे,
६० में भी गबरू नज़र आते थे।
चाँद को निकलने में
है अभी घन्टा भर
पर छत पर कई चक्कर लगा आए !
अर्घ्य देते, कहानी सुनते, खाते- पीते देख
तुम्हारा चेहरा कुछ भीग सा गया है
आत्मीयता की छाँव...शांतनु सान्याल
यहाँ फूलों के दरीचे, धुंधली
आँखों
मैं तैरते हैं उजानमुखी नाव,
बरगद, घाट, मंदिर -
शीर्ष, गोधूलि में
नदी गुलाल,
आँगन
के मध्य तुलसी वृन्दावन, साँझ ढले - -
बढ़ती जाए आत्मीयता की छाँव।
मुक्ति की जो करे साधना.... अनीता
शिव का प्रतीक हमारी आत्मा का प्रतीक है। वह कितना सुकोमल और सुडौल है, उसमें कहीं कोई कोना उभरा हुआ नहीं है, नुकीला नहीं है। वह किसी को हानि नहीं पहुँचाता। उस पर जल चढ़ाने का अर्थ है मन को निर्मल करना, फूल अर्पित करने का अर्थ है सारी कटुता को भीतर ही समा लेना उसे बाहर न आने देना।
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे आगामी मंगलवार।
रवीन्द्र सिंह यादव
बेहतरीन चयन...
जवाब देंहटाएंआभार.
सादर ..
वाहः
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स चयन
सराहनीय प्रस्तुति
करवाचौथ की शुभकामनाएं ! पठनीय रचनाओं से सजा अंक, आभार !
जवाब देंहटाएंसुन्दर संकलन
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंको से सुशोभित .... चाँद यहाँ भी बाजी मार रहा,,, कल तो कलाए दिखी ही उसकी॥ शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंविविध रंगों से सजा अंक मंत्रमुग्ध करता है - - मेरी रचना को शामिल करने हेतु हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंक्स, बेहतरीन रचनाएं।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।