शुक्रवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन
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आओ प्रज्वलित करें
एक दीप अंतर्मन की ड्योढ़ी पर।
देखें स्वयं का प्रतिबिंब
रख चेहरा उजाले की ठोढ़ी पर।
शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यं धनसंपदा
दुष्टबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते।
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पावन आभा ज्योति का, फैला पुंज प्रकाश।
नाच रहा मन मोर है, सभी दिशा उल्लास।।
दूर हुआ जग से तमस छाया है उजियार।
जन जन में बढ़ता रहे, घनिष्ठता औ प्यार।
तैंतीस साल पहले खो चुके प्रियतम को
उसके जन्मदिन पर
उसकी पसंदीदा कविता कुब्ला ख़ान
को पढ़ कर खिलखिला उठना
को
प्रेम का ब्रह्माण्ड ... !!
ज़िक्र जब मेरी ज़फ़ाओं का किया होगा कहीं,
ख़ुद को उस भीड़ में तन्हा ही तो पाया होगा ।
दर्द अपनी ही अना का भी सहा होगा बहुत,
फिर से जब दिल में नया बीज लगाया होगा ।
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विशेष अंंक के साथ।
-श्वेता
आओ प्रज्वलित करें
जवाब देंहटाएंएक दीप अंतर्मन की ड्योढ़ी पर।
देखें स्वयं का प्रतिबिंब
रख चेहरा उजाले की ठोढ़ी पर।
-काश सम्भव हो पाता
दीपोत्सव की हार्दिक बधाई असीम शुभकामनाओं के संग छुटकी
सराहनीय प्रस्तुतीकरण
हार्दिक शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंपावन आभा ज्योति का,
फैला पुंज प्रकाश।
नाच रहा मन मोर है,
बेहतरीन..
तेरस/चौदस की शुभकामनाएं
सादर..
व्वाहहहहहह
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चयन
अनन्त शुभकामनाएं..
सादर.
मैं ख़ुद में खो जाता हूँ http://www12.widgetserver.com/ पर रीडाईरेक्ट कर रहा है।
जवाब देंहटाएंआभारी हूँ सर,
हटाएंठीक कर रही हूँ।
प्रणाम सर।
सादर।
आपसे ठीक नहीं हो पायेगा। चिट्ठाकार को अपने स्तर से ठीक करना पड़ेगा। किसी एड रिमूवर सोफ़्टवेयर के सहारे।
हटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंधनतेरस और दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत ही प्यारी भूमिका के साथ एक अत्यंत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाओं को पढ़ कर दीपोत्स्व का प्रकाश और आनंद मन में फ़ैल जाता है।
प्रेरणादायक और शुभ प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार व आप सबों को प्रणाम।
दिल को छुती पंक्तियों के साथ बेहतरीन रचनाओं का चयन प्रिय श्वेता जी, कुछ व्यस्तता के कारण ब्लोग पर आना कम हो गया है,
जवाब देंहटाएंआप सभी को दिपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार
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जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
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