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शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

1944 ...तड़प तड़प के रहना पड़ता, तेरा मौन पुकारे जब

शुक्रवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन

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आओ प्रज्वलित करें
एक दीप अंतर्मन की ड्योढ़ी पर।

देखें स्वयं का प्रतिबिंब 
रख चेहरा उजाले की ठोढ़ी पर।



शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यं धनसंपदा
दुष्टबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते।
-------

आइये आज की रचनाओं का आनंद लें।

दीपमाला

पावन आभा ज्योति का, फैला  पुंज प्रकाश।
नाच रहा मन मोर है, सभी दिशा उल्लास।। 
दूर हुआ जग से तमस छाया है उजियार।
जन जन में बढ़ता रहे, घनिष्ठता औ प्यार।

प्रेम गीतों में... 

तैंतीस साल पहले खो चुके प्रियतम को
उसके जन्मदिन पर
उसकी पसंदीदा कविता कुब्ला ख़ान
को पढ़ कर खिलखिला उठना
को
प्रेम का ब्रह्माण्ड ... !!


मैं ख़ुद में खो जाता हूँ

तड़प तड़प के रहना पड़ता, तेरा मौन पुकारे जब
हाय! बेबसी अपने दिल में, बस आँसू बो जाता हूँ 

बिन बोले भी प्यार तुम्हारा, दिल में गहरा यूँ उतरा
चाहत तू मेरी मंजिल बन, मैं मंजिल को जाता हूँ 



ज़िक्र जब मेरी ज़फ़ाओं का किया होगा कहीं,
ख़ुद को उस भीड़ में तन्हा ही तो पाया होगा ।
दर्द अपनी ही अना का भी सहा होगा बहुत,
फिर से जब दिल में नया बीज लगाया होगा ।





    जीवन और जगत के बहुरंगी अनुभवों , गहन अनुभूतियों और मानवीय संवेदनाओं के असीम सागर को दोहा अपनी छोटी – सी गागर में सफलतापूर्वक समाहित किये हुए है | श्रृंगार , प्रेम , भक्ति , प्रकृति , नीति , आध्यात्म , दर्शन ,जीवन के विविध संदर्भ , विसंगति , अन्याय , शोषण , भ्रष्टाचार , अपसंस्कृति और मानवीय सरोकारों से जुड़ा कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है , जो इसकी अभिव्यक्ति के दायरे में आने से बच सका हो | यही कारण है कि अत्यन्त सरल लगने वाला दोहा लिखने के लिए भी दोहाकार में भाव – प्रवणता , संवेदनशीलता , प्रतिभा और अभिव्यक्ति कौशल का होना नितान्त आवश्यक है |
....

कल मिलिएगा विभा दी से
विशेष अंंक के साथ।

-श्वेता

11 टिप्‍पणियां:

  1. आओ प्रज्वलित करें
    एक दीप अंतर्मन की ड्योढ़ी पर।
    देखें स्वयं का प्रतिबिंब
    रख चेहरा उजाले की ठोढ़ी पर।
    -काश सम्भव हो पाता
    दीपोत्सव की हार्दिक बधाई असीम शुभकामनाओं के संग छुटकी
    सराहनीय प्रस्तुतीकरण

    जवाब देंहटाएं
  2. हार्दिक शुभकामनाएँ
    पावन आभा ज्योति का,
    फैला पुंज प्रकाश।
    नाच रहा मन मोर है,
    बेहतरीन..
    तेरस/चौदस की शुभकामनाएं
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. व्वाहहहहहह
    बेहतरीन चयन
    अनन्त शुभकामनाएं..
    सादर.

    जवाब देंहटाएं
  4. मैं ख़ुद में खो जाता हूँ http://www12.widgetserver.com/ पर रीडाईरेक्ट कर रहा है।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभारी हूँ सर,
      ठीक कर रही हूँ।

      प्रणाम सर।
      सादर।

      हटाएं
    2. आपसे ठीक नहीं हो पायेगा। चिट्ठाकार को अपने स्तर से ठीक करना पड़ेगा। किसी एड रिमूवर सोफ़्टवेयर के सहारे।

      हटाएं
  5. बहुत सुंदर प्रस्तुति
    धनतेरस और दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही प्यारी भूमिका के साथ एक अत्यंत सुंदर प्रस्तुति।
    सभी रचनाओं को पढ़ कर दीपोत्स्व का प्रकाश और आनंद मन में फ़ैल जाता है।
    प्रेरणादायक और शुभ प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार व आप सबों को प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  7. दिल को छुती पंक्तियों के साथ बेहतरीन रचनाओं का चयन प्रिय श्वेता जी, कुछ व्यस्तता के कारण ब्लोग पर आना कम हो गया है,
    आप सभी को दिपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
  8. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  9. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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