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मंगलवार, 17 नवंबर 2020

1948...आँसू बहा तुष्टि भर लेता...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीया अनीता जी की रचना से।

सादर अभिवादन।

 

साँसें  हुईं  हैं  दूभर

आजकल  दिल्ली में,

एयर प्यूरीफ़ायर लगा 

कोई जी रहा तसल्ली में?

-रवीन्द्र 

आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-

परिचित जो अंतर पनघट से... अनीता


कोई फूलों को चुन लेता

दूजा काँटों को बुन लेता

ताज बनाकर सिर पर पहने

आँसू बहा तुष्टि भर लेता

ख़ाली हाथ...शांतनु सान्याल


इंसान, नियति बिछाए रखती है हर पल
सांप सीढ़ी का खेल, अभी मुख पृष्ठ
में है मेरी कहानी, किसे ख़बर
कब डूबा ले जाए, किनारे
का, घुटनों भरा
पानी, हमारी
दुनिया
का

'यादें'हाइबन.... मीना भारद्वाज


असम का एक मझोला शहर बरपेटा रोड ..वहीं से मुँह

अंधेरे गाड़ी में बैठते सुना कि सुबह तक पहुंच जाएंगे गुवाहाटी

कार की खिड़की से नीम अंधेरे में भागते पेड़ों को देखते

देखते कब नींद आई पता ही नहीं चला आँख खुली तो

लगा पुल से गुजर रहे हैं --

खतरनाक... अपर्णा बाजपेई


घर में चार मर्दों के बीच रहना भी जोखिम ही है,

तालाबों पर नहाना

जंगल में काम करना

लकड़ी का बोझ ले बाज़ार में बैठना

क्या कम ख़तरनाक है,

वैदिक वाङ्गमय और इतिहास बोध...(13)...विश्वमोहन


सच तो यह है कि ऋग्वेद की भाषा और इसके सांस्कृतिक तंतु आद्य-भारोपीय भाषायी संस्कारों से इतने घनिष्ट हैं कि लगता है मानों उसी की कुक्षी का यह नवांकुर बीज हो। ऋग्वेद के अपने अनुवाद की प्रस्तावना में ग्रिफ़िथ लिखते हैं किसच कहें तो ऋग्वेद में इसकी काव्यात्मकता से भी ज़्यादा अगर कोई चीज़ रुचि जगाती है तो वह इसकी ऐतिहासिकता है। एक तरफ़ इसकी मौलिक भाषा में ग्रीक, लैटिन, केल्ट, ट्यूटन और स्लावी भाषाओं के जड़ और धड़ तो दिखायी देते ही हैं, दूसरी तरफ़ ईसाईयत के पैदा होने से पहले के यूरोप के देवी-देवता, पौराणिक गल्प-कथायें, धार्मिक आस्थाएँ, वहाँ के लोकाचार और उनकी परम्परायें वेद के प्रचंड प्रकाश-पुंज से जगमग हैं।"

 

आज बस यहीं तक 

फिर मिलेंगे किसी अगली प्रस्तुति में। 

 

रवीन्द्र सिंह यादव

 

 

11 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन अंक...
    पठनीय रचनाएँ..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. काफी से अधिक सुन्दर रचनाएँ
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन संकलन । मेरी रचना को पटल पर शामिल करने के लिए आपका सादर आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहद सुंदर रचना प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  5. श्रम से सजाया एक और सुंदर अंक, 'मन पाए विश्राम जहाँ' को मान देने के लिए बहुत बहुत आभार !

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन संकलन अनुज रविन्द्र जी ।

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन रचनाओं का संकलन और आकर्षक प्रस्तुति मुग्ध करता है, मुझे स्थान देने हेतु हार्दिक आभार - - नमन सह।

    जवाब देंहटाएं

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