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शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2020

1930 ...कितना और मुझे चलना है

शुक्रवारीय अंक में
आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।

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स्वागतम् स्वागतम्
शीतल शरद सुस्वागतम्।


धान चुनरी,कँवल,कुमदिनी,
नीलकुंरिजी  मनभावनम्।
मगन किलके अलि,तितली
खंजन खग गुंजायनम्।
शरद विहसे चंद्रिका महके
सप्तपर्णी  सम्मोहनम्।
 धरणी चूमे ओस मुक्ता
शिउली झरे अति पावनम्।

स्वागतम् स्वागतम्
शीतल शरद सुस्वागतम्।

#श्वेता

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आइये आज  की रचनाओं का आनंद लेते हैं-

कितना मुझे और चलना है ?


कितना और अभी बाकी है, 
इन श्वासों का ऋण आत्मा पर !
किन कर्मों का लेखा - जोखा,
देना है विधना को लिखकर !
अभी और कितने सपनों को,
मेरे नयनों में पलना है ?
कितना और मुझे चलना है ?




जागृत, इक विश्वास, कि उठ खड़े होंगे हम, 
चुन लेंगे, निर्णायक दिशा ये कदम,
गढ़ लेंगे, स्वप्निल सा इक धूमिल आकाश,
अनन्त भविष्य, पा ही जाएगा अंत,
ज्यूँ, पतझड़, ले आता है बसन्त!
चिंगारी, हो उठती है ज्वलंत!


लालसा का
 दास मानव 
नाम की बस चाह होती 
अर्थ के संयोग से फिर 
भावना की डोर खोती 
द्वेष की फिर आँधियों में 
मूल्य के उपवन उजड़ते।।




गणित में 
एक तरफ शून्य होता है 
दूसरी तरफ अनंत 
एक तरफ कुछ नहीं 
दूसरी तरफ सब कुछ पूर्ण 
पर जरूरत का सिद्धांत 
तो अपूर्णता का सिद्धांत है 
क्यूंकि जरूरतें अनंत है  
पर जरूरतें अपूर्ण हैं 
अनंत भी हैं और अपूर्ण भी हैं




एक द्वेष की फिर चिंगारी
रिश्ते पल में सुलगते।
नारी के आँचल में पलकर
नारी तन ही कुचलते।

प्रीत दिखावे में लिपटी
जिव्हा भी मिसरी बोले।
पीछे पीठ पर घात करें
और जहर ज़िंदगी घोले।
...
कल मिलिए विभा दीदी से
श्वेता
सादर


 

11 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन प्रस्तुति..
    आभार ..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. उम्दा लिंक्स चयन
    सराहनीय प्रस्तुतीकरण

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुंदर व विविध प्रस्तुति आज की हलचल में। पढ़ कर बहुत आनंद आया। सभी रचनाएँ मन को संदेश देतीं हैं और सद्विचार से भर देतीं हैं। बहुत ही सुंदर भूमिका शरद का स्वागत करती हुई। आप सबों को प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
  4. शरद विहसे चंद्रिका महके
    सप्तपर्णी सम्मोहनम्।
    धरणी चूमे ओस मुक्ता
    शिउली झरे अति पावनम्।
    स्वागतम् स्वागतम्
    वाह 👌👌👌 प्रियेश्वेता,बहुत सुंदर पंक्तियाँ, शरद के शुभागमन में पलक पाँवडे बिछाते कोमल मन की सुंदर अभिव्यक्ति!
    सुंदर, सुकोमल रचनाओं से सजा आज का अंक मन मुदित कर गया. शरद पूर्णिमा की सबको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं. शरद का मधुर आगमन सबके लिए शुभता भरा हो. सभी रचनाकारों को सादर, सस्नेह बधाई. और तुमसे आग्रह करूँगी कि अपनी ये रचना अपने ब्लॉग पर भी डालो. हार्दिक स्नेह के साथ मेरी शुभकामनाएं.

    जवाब देंहटाएं
  5. सभी रचनाओ पर प्रिय अनन्ता की सारगर्भित टिप्पणियां बहुत अचंभित कर देती हैं, छोटी उम्र में साहित्य की ये लगन, भविष्य के शब्द साधक से परिचय कराती है, सभी से अनुरोध है अनन्ता को प्रोत्साहित करें जिससे वह साहित्य सृजन के पथ पर उत्साह से बढती रहे, सभी को आभार🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीया मैम, आपके इस निस्वार्थ स्नेह के लिए मेरे पास तो शब्द नहीं कि मैं क्या कहुँ। आभार के सभी शब्द बहुत छोटे लगने लग जाते हैं आपके अपनत्व के आगे। आप सबों का आशीष मेरी सब से बड़ी ऊर्जा है। आप सबों ने जो प्रोत्साहन और स्नेह दिया है, उसके लिए हृदय से अत्यंत अत्यंत आभार और प्रणाम। आप सब का स्नेह और आशीर्वाद मिलता रहे , यही कामना है।

      हटाएं
  6. बहुत सुंदर प्रस्तुति,मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार श्वेता जी।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर रचनाओं से सजा अंक। प्रिय श्वेता, मेरी रचनाओं को पसंद करने और पाँच लिंकों में लाने के लिए बहुत बहुत आभार !!! बहुत सा स्नेह।

    जवाब देंहटाएं
  8. सुखद! आत्मा को सुख देता है प्रिय श्वेता को सक्रिय देखना।
    स्वागत अनुजा, बहुत अच्छा लगा आपको देखकर ।
    शरद स्वागत में सुंदर भूमिका से सजाया है आपने ब्लाग को।
    बहुत सुंदर लिंक, सभी रचनाकारों को बधाई,
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार।
    ससनेह।

    जवाब देंहटाएं

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