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शुक्रवार, 11 सितंबर 2020

1883 ..प्रकृति से मौन संवाद, और अंतर्मन की चेतना

ये नज़र है कि कोई मौसम है
ये सबा है कि वबाल आया है

हम ने सोचा था जवाब आएगा
एक बेहूदा सवाल आया है
-दुष्यन्त कुमार

मैं दिव्या एक अस्थाई चर्चाकार
मेरी परमप्रिय दीदी श्वेता जी की जगह तो नहीं ले सकती मैं
दीदी का निर्जल उपवास न होता तो मैं कभी नहीं आती

किसी भी हाल में...
आए यहाँ रचना तलाशने...

मानो दीदी नहीं है, हम नहीं लिखेंगे
कहकर हड़ताल पर चले गए
सारे रचनाकार....किंकर्तव्यविमूढ़ हम करें भी तो क्या
सोचे हम आज यही दीदी को ही रख देते हैं....
चलिए मिलवाती हूँ दीदी से...
मेरी खुश मिजाज दीदी 

सभी किस्म की रचना लिखती है..
रचनाएँ चुनने सोच-समझ कर
सभी विषयों को छूने की कोशिश की है




वह उदास औरत ....

इष्टदेव के समक्ष
डबडबायी आँखों से
निर्निमेष ताकती
अधजली माचिस की तीलियों
बुझी बातियों से खेलती
बेध्यानी में,
मंत्रहीन,निःशब्द


मैं रहूँ न रहूँ ...

फूलेंगे हरसिंगार
प्रकृति करेगी नित नये श्रृंगार
सूरज जोगी बनेगा
ओढ़ बादल डोलेगा द्वार द्वार
झाँकेगी भोर आसमाँ की खिड़की से
किरणें धरा को प्यार से चूमेगी


शरद का स्वागत ...

शरद के 
स्वागत में 
वादियों के 
दामन 
सजने लगे,
बहकी
हवाओं ने 
हर शय में
नया राग 
जगाया है।


सुरमई अंजन लगा ...

सेज तारों की सजाकर 
चाँद बैठा पाश में,
सोमघट ताके नयन भी
निसृत सुधा की आस में,
अधरपट कलियों ने खोले,
मौन किरणें चू गयी मिट गयी तृषा।



समानता ...

देह के बंदीगृह से
स्वतंत्र होने को
छटपटाती आत्मा
स्त्री-पुरुष के भेद
मिटाकर ही
पा सकेगी
ब्रह्म और जीव
की सही परिभाषा।


अच्छा नहीं लगता ...

झलक खुशियों की देखी है वक़्त की पहरेदारी में
याद में ज़ख़्म का हलना हमें अच्छा नहीं लगता

कहो दामन बिछा दूँ मैं तेरी राहों के कंकर पर
ज़मीं पर चाँद का चलना हमें अच्छा नहीं लगता


क्या तुम नहीं डरते? ...

सुनो ओ!जंगल के दावेदारों
विकास के नाम पर
लालच और स्वार्थ की कुल्हाड़ी लिए
तुम्हारी जड़ को 
धीरे-धीरे बंजर करते,
तुम्हारी आँखों में सपने भरकर
संपदा से भरी भूमि को
कंक्रीट में बदलते,
.....
दीदी के मनोभाव
प्रकृति से मौन संवाद, 
अंतर्मन की चेतना 
का स्वर शब्दांकन 
ही कविता है।
आभार दीदी
अनुजा
दिव्या...




18 टिप्‍पणियां:

  1. अनुराग प्रदर्शन का रोचक तरीका... सराहनीय... शुभकामनाएं... आप स्थाई चर्चाकार हो जाएँ... मैं निवृत हो जाऊँ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय दीदी
      आप इस ब्लॉग में
      आयु पर्यंत रहेंगी
      आप स्थाई चर्चाकार हो जाएँ...
      मैं निवृत हो जाऊँ...
      इस पंक्ति को आप भूल जाइए..
      आप स्वस्थ रहिए, अपने हस्त रखिए
      हमारे शीश पर..
      सादर नमन..

      हटाएं
  2. आभार प्यारी दिबू..
    तैय्यार रहना आज
    तेरी पिटाई करेगी सखी..
    पर चयन अच्छा है..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह, बहुत ही सुंदर अंक प्रिय दिव्या! बहुत ही मनभावन अंक जिस पर अत्यंत सधी स्नेहिल भूमिका। सच है ब्लॉग जगत में कम रचनाएँ लिखी जा रही हैं, जिसका मुझे भीआश्चर्य है। प्रिय श्वेता को भी लापता हुए अरसा बीत गया। एक दिन की चर्चाकारी से काम चला , फिर छिप जाती है। आज उसकी भावपूर्ण रचनाएँ मंच पर शोभायमान हैं जिसके लिए आप सराहना की पात्र हैं। श्वेता किसी परिचय की मोहताज नहीं। वो एक
    सुदक्ष रचनाकार है जिसका मखमली लेखन अपनी मिसाल आप है। उसकी रचनाओं के मोती साहित्य की धरोहर हैं। अपने मधुर व्यवहार और मनमोहक रचनाओं से ब्लॉग जगत में बहुत लोकप्रिय है। पांच लिंको की तो कल्पना भी उसके बिना नहीं की जा सकती।श्वेता से कहूंगी वो जल्द लौटे ब्लॉग पर। किसी बहाने से ब्लॉग से दूर जाने का प्रयास ना करे। प्रिय श्वेता को बहुत -बहुत शुभकामनाएं । आज के अंक में ली गयी पुरानी रचनाओं ने ब्लॉग के स्वर्णिम दिनोँ याद दिला दी। और दिव्या आप भी बहुत प्यारी है। आपकी प्रस्तुति हमेशा विशेष रहती हैं, मासूमियत से भरी हुई और बहुत भावपूर्ण भी। मेरी शुभकामनाएं और स्नेह आपके लिए। 🌹🌹💘💘🌹🌹

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय दी,
      आपका स्नेह, मेरे लेखन पर आपकी स्नेहसिक्त प्रतिक्रियाएँ सदैव मनोबल को संबल प्रदान करती रही हैंं दी।
      जी दी आपने सदैव उत्साह बढ़ाया है। मेरी नयी पुरानी अच्छी या कम अच्छी सभी रचनाओं को आपका स्नेह समान रुप से मिलता रहा है।
      रचना के मनोभावों का सूक्ष्म और सटीक विश्लेषण करने वाली आप जैसी पाठक पाकर हम ही नहींं यह चिट्ठा जगत समृद्ध है।
      आपका साथ और आशीष सदा बरसता रहे।
      सादर प्रणाम दी।

      हटाएं
  4. अश्कों का आँख से ढलना हमें अच्छा नहीं लगता
    तड़पना,तेरा दर्द में जलना हमें अच्छा नहीं लगता
    जैसी पंक्तियाँ फिर लिखो श्वेता। Apne ब्लॉग पर लौटो। हार्दिक स्नेह के साथ 🌹🌹💘💘

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जी दी,
      आपका स्नेह है दी।
      आपका आशीष बना रहे।

      हटाएं
  5. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति! इस अंक की कविताओं पर बस इतना ही कि 'अद्भुत"!!!!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय विश्वमोहन जी,
      आपका आशीष मेरी अति साधारण सी रचनाओं को विशेष बना देता है।
      अत्यंत आभार और शुक्रिया।
      सादर प्रणाम।

      हटाएं
  6. आज की प्रस्तुति तो "स्वर्णिम प्रस्तुति" है। आदरणीया श्वेता मैम मेरे लिये भी अत्यंत आदर की पात्र हैं और उनकी रचनाएँ सदा ही नई प्रेरणा और विचारों से भर देतीं हैं और मन को आनंद से भर देतीं हैं।
    उनके ब्लॉग पर न होने से छाया सूनापन बहुत खल रहा है। आशा है वे अपनी नई रचनाओं के साथ जल्दी ही लौट आयें।
    आदरणीया मैम, आपकी यह स्नेह भरी प्रस्तुति मन को छू गयी, आपकी और भी प्रस्तुतियों के इयूए उत्सुक रहूँगी।

    आप सबों को मेरा प्रणाम।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय अनंता,
      आपके इस सम्मान से अभिभूत हूँ।
      आपके शब्दों ने मन उत्साह से भर दिया।
      बहुत बहुत स्ने और शुक्रिया।

      हटाएं
  7. प्रिय दिबू,
    इस भावपूर्ण,स्नेहमयी प्रस्तुति के लिए मेरा आशीष और स्नेह और शब्द नहीं सूझ रहे क्या कहें हम।

    पाँच लिंक परिवार का प्रेम और सहयोग मुझे सदैव मिलता रहा है आजीवन मन से आभारी रहूँगी मैं।
    प्रिय यशोदा दी और दिग्विजय सर ने हर परिस्थिति में साथ दिया है।
    प्रिय विभा दी का निश्छल आशीष सदा बरसता रहा है।
    प्रिय पम्मी दी,रवींद्र जी,कुलदीप जी का भी समर्थन सदा मिला है।
    अपनी भूली-बिसरी रचनाएँ पटल पर देखना-पढ़ना भाव विह्वल कर जाता है सदैव।
    आप सभी का साथ और आशीर्वाद मिलता रहे यही प्रार्थना है।।

    जवाब देंहटाएं
  8. शानदार लेखन

    स्वरांजलि satish rohatgi

    जवाब देंहटाएं
  9. आप ने बहुत ही अच्छा पोस्ट लिखा हैं . यह काफी ज्ञानवर्धक हैं ऐसे पोस्ट इन्टरनेट पर बहुत कम देखने को मिलते है attitude status for girlin hindi

    जवाब देंहटाएं

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