सब उन्नति कौ मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के,
मिटे न हिय को सूल॥
अंग्रेजी पढ़के जदपि,
सब गुण होत प्रवीण
पै निज भाषा ज्ञान के,
रहत हीन के हीन
हिन्दी दिवस की शुभकामनाएँ
14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने की
शुरुआत वर्ष 1949 से हुई थी। सन 1949 से
पहले शायद हिन्दी को कोई नहीं जानता था..
सब इशारों से ही बात करते थे
या फिर लाठी -पत्थर से..
लोग यह नहीं समझ पाए कि
देवभाषा संस्कृत ही हिन्दी की जनक है
और ये हिन्दी भी अपने कदम बढ़ा रहा है...
तीसरे से दूसरे नम्बर में आ जाएगा शीघ्र ही ..
क्योंकि दूसरे नम्बर पर बोली
भाषा मंदारिन नैपथ्य़ में चली जाएगी
वो इसलिए कि मंदारिन भाषा
चीन, जापान और हांगकांग
के तरफ ही बोली जाती है
और चीन अपनी करनी से
ज़मीदोज़ होने की तैय्यारी में है
आज की अधिकतर रचनाएँ वेब से लिए हैं
नियमित चिट्ठाकार आज लिक्खेंगे रचनाएँ
और शाम -रात को प्रकाशित करेंगे
उनकी इस अंक के प्रकाशनोरांत
ही पढ़ने को मिलेगी...
हिंदी दिवस पर बहुत सारे नारे लगते हैं। और अगर कहा जाए कि हिंदी–दिवस है ही नारों का दिवस तो ये बात आपको वैसे ही हजम होगी जैसे यह कि चुनाव–दिवस है ही नारों का दिवस। चुनाव और हिंदी, दोनों बहनें ही तो हैं – – दोनों में राजनीति होती है, दोनों में जो नहीं हो सकता उसका आश्वासन दिया जाता है तथा दोनों में हाथी दाँतिया इस्टाईल में आंदोलन होते हैं। इसलिए इस हिंदी–दिवस पर मैंने भी नारा लगा दिया, "हिंदी माथे की बिंदी।"
हिन्दी मीठा फल है, तो हरी सब्जी भी है हिन्दी उपयोगी और स्वादिष्ट वो झूठ नहीं है जहाँ कहानियों में चीटियां भी हिन्दी में ही वार्तालाप करती हैं शेरों की दहाड़ हिन्दी में ही सुनाई देती है कभी कहीं किसी ने किसी शेर को कहीं पर भी अंग्रेजी में दहाड़ते देखा है पशु पक्षी भी हिन्दी जानते हैं, उसी में चहचहाते हैं सूरज चांद तारों की सितारों की भाषा हिन्दी ही है फिल्मी सितारे भी हिन्दी से ही परवान चढ़ते हैं वो बात अलग है कि दिखावे में अंग्रेजी ही दिखलाते हैं सज्जा की भाषा है अंग्रेजी, और मज्जा की भाषा है हिन्दी।
आज हिंदी दिवस पर मुझे फिर विचार आया
मातृ भाषा से मिल आऊं भले ही उन्होंने नहीं बुलाया
व्यथा तो उनको, मुझसे बहुत-सी होगी
डरते डरते मैंने हिंदी का दरवाजा खटखटाया
मिला तो हिंदी ने प्यार से बिठाया
दर्द अपना कुछ इस तरह सुनाया
बोली वैसे तो तू साल में एक बार आता है
कुछ करता भी है या दिखावे को हिंदी दिवस मनाता है।
दिया हिंदी ने हमको गौरव
बनकर हिन्द की पहचान
लेकिन आज भी हिंदी को
हमने भाषा माना आम
आम की तरह पीया हिंदी रस
कि अपनी बुलंद आवाज
लेकिन ना पहना सके
हम हिंदी को उसका ताज
संस्कृत से संस्कृति हमारी
हिंदी से हिंदुस्तान है।
बिहारी, केशव, भूषण जैसे
कवियों ने हिंदी अपनाई
हिंदी का महत्व बहुत है
बात ये सब को समझाई,
यही है कारण कि इन सबकी
विश्व में आज पहचान है
संस्कृत से संस्कृति हमारी
हिंदी से हिंदुस्तान है।
.....
अभी तक आप हिन्दी की
पहचान के विषय से परिचित हुए
अब आप पढ़िए कविताएँ..
बाग में पहुंचा टहलता
सोचता था
दो घड़ी को मन बहलता।
देखकर एक फूल सुंदर सा सलौना
था प्रकृति के हाथ का नन्हा खिलौना।
डाल पर था झूमता
कुछ मुस्कुराता मौन स्वर में
गीत भी था गुनगुनाता।
कर रहा अठखेलियां
देखा पवन से।
रश्मि-रंजित धवल तन पर रेशमी परिधान तेरा
ये मधुर मुस्कान तेरी फिर सुरीला गान तेरा
लग रहा है दैव ने है स्वर्ग से तुमको उतारा।
आज मन चंचल हुआ कुछ इस तरह तुमने निहारा।।
पर सृजन की साधना में जो अधूरापन बचा है
आज अंतर्द्वंद तुमको देखकर भीतर मचा है
छंद रूपी पुष्प से महका रही मधुवन हमारा।
आज मन चंचल हुआ कुछ इस तरह तुमने निहारा।।
परिधि सीमा नहीं होती
पर फिर भी,
एक निश्चित त्रिज्यात्मक दूरी में
लगा रहा हूँ वृताकार चक्कर
खगोलीय पिंडों सा
तुम्हारी चमक और तुम्हारा आकर्षण
जैसे शनि ग्रह के चारों ओर का वलय !
कहीं मैं धूमकेतु तो नहीं ।
अक्षर के संयोग ...मालती मिश्रा
कसौटियों पर शुद्धि के, खरे रहें हर रूप।
अंग्रेजी सम हों नहीं, भिन्न-भिन्न प्रारूप।।
हिन्दी के अक्षर सभी, चढ़ें शिखर की ओर
अ अनपढ़ यात्रा पथ से, ज्ञ से ज्ञान की ओर।।
प्रथम भाषा बन हिन्दी, बने देश का मान।
सजे भाल पर देश के, पाय सदा सम्मान।।
हिंदी में परभाषा शब्द ..रंगराज अय्यर
लघुता से प्रभुता मिले, प्रभुता से प्रभु दूरि
चींटी ले शक्कर चली, हाथी के सिर धूरि
हिंदी में परभाषा शब्द हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी चाहे अनचाहे सितंबर आ ही गया। यह माह श्राद्ध का माह भी है और हिंदी का माह भी। आईए हिंदी की कुछ और बातें करें। आज हम हिंदी में परभाषा केशब्दों के आत्मसात करने की बात करते हैं। भाषा का प्रवाहमयी होना बहुत जरूरी है क्योंकि प्रवाहमयी होना ही भाषा के जीवंतता की निशानी है। यह प्रवाह उत्पन्न होता है उसके दैनं-दिन प्रयोग से। भाषा उस सरिता के समान है
...
रचनाएँ और आलेख तो बहुत है
पर क्षमता भी जवाब देने लगी है
सादर
शुभकामनाएं हिन्दी दिवस की।
जवाब देंहटाएंहिंंद दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स बहुत अच्छी... सुरुचिपूर्ण रचना चयन हेतु साधुवाद
जवाब देंहटाएंहिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🌺🙏
बेहतरीन
जवाब देंहटाएंअशेष शुभकामनाएँ
सादर
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं सभी को
बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआप सभी को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
हिंदी दिवस के अवसर पर अति सुंदर प्रस्तुति। पढ़ कर आनंद आया।अपनो भाषा के ज्ञान के बिना हम कुछ नहीं.... बहुत ही सार्थक सन्देश विशेष कर हम युवाओं के लिये
जवाब देंहटाएंबहुत बढियां प्रस्तुति, हिंदी दिवस की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं*एक हकीकत*
इसलिए *हिंदी* नायाब है
छू लो तो *चरण*
अड़ा दो तो *टांग*
धँस जाए तो *पैर*
फिसल जाए तो *पाँव*
आगे बढ़ाना हो तो *कदम*
राह में चिह्न छोड़े तो *पद*
प्रभु के हों तो *पाद*
बाप की हो तो *लात*
गधे की पड़े तो *दुलत्ती*
घुंघरू बाँध दो तो *पग*
खाने के लिए *टंगड़ी*
खेलने के लिए *लंगड़ी*
अंग्रेजी में सिर्फ- LEG *🌹🌹हिन्दी दिवस की बधाई🌹🌹*
बहुत सुन्दर अंक |मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंराजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर संशोधित_प्रोग्रामिंग परीक्षा -2020 UG/PG भाग 3 वर्ष कला, विज्ञान, वाणिज्य/ M.A, M.Com, M.Sc के साथ देय (Due) पेपर पार्ट 1st -2nd वर्ष बीए, बीएससी, बीकॉम/ M.A, M.Com, M.Sc Pre. अतिरिक्त - नियमित / निजी / गैर-कॉलेज / पूर्व-छात्रों की परीक्षा Rajasthan University BCom Time Table/Admit Card
जवाब देंहटाएं