सादर
अभिवादन।
मंगलवारीय प्रस्तुति में
आपका
स्वागत।
इतिहास में लिखा होगा
दुनिया को
करोना महामारी में
उलझाकर
चीन
अपनी सीमाओं का
विस्तार कर रहा था,
भारत
अनेक चुनौतियों का
सामना करते हुए
अपनी संप्रभुता की
रक्षा कर रहा था।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-
हर ओर से ना का पहाड़ा
कोई आशा नहीं रही शेष
फिर कोई कहाँ जाए
दिल का बोझ उतारने को|
मौसम प्रतिकूल
है
आँधियाँ विनाश
का
रूप
ले
चुकी
हैं
सूरज
झुलस
रहा
है
हवा
और
पानी
का
दम
घुट
रहा
है
पल भर को, रुक जरा, ऐ मेरे मन यहाँ,
चुन लूँ, जरा ये खामोशियाँ!
चुप-चुप, ये गुनगुनाता है कौन?
हलकी-सी इक सदा, दिए जाता है कौन?
रात अमावस की थी लेकिन
एक जरा थामना भर था अपना हाथ
रौशनी ही रौशनी बिखरने लगी.
"किस अपराध की सज़ा भुगत रही हूँ मैं? उससे शादी की उसकी या उसके पैसे नहीं मिलने पर घर से निकाल दी गई उसकी? पिछले दो दिन से चक्कर लगा रही हूँ, एक घंटे में आने की कहते हैं और अब देखो सुबह से शाम हो गई। जूतियाँ पहननेवाला ही जानता है कि वे पांव में कहाँ काटतीं हैं।"
*****
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगली प्रस्तुति में।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
वाह!अनुज रविन्द्र जी ,बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति 👌👌
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
शानदार प्रस्तुति , समकालीन सही विवेचना लिए सार्थक भुमिका।
जवाब देंहटाएंसुंदर लिंक चयन सभी रचनाकारों को बधाई।
शानदार प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मेरी रचना को शामिल करने के लिए |
बहुत ही सुंदर रचना संकलन
जवाब देंहटाएंThanks For Sharing The Amazing content. I Will also share with my
जवाब देंहटाएंfriends. Great Content thanks a lot.
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जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर भूमिका के साथ बेहतरीन प्रस्तुति। मेरी लघुकथा को स्थान देने के लिए सादर आभार आदरणीय सर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
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