भाई रवीन्द्र जी भूल गए लगता है
लगता है क्या भूल ही गए
चलिए आज हम लोग भी भूल गए
रात 3.30 को उठकर भी नज़र इधर नही मारी
अमूमन देख ही लेते है पर भूल गऐ...
आज की रचनाएँ देखिए..
बदलता हुआ वक़्त ....राजीव डोगरा ’विमल’

वक़्त के पन्नों पर
सब कुछ बदल जाएगा
जो लिखा है नसीब में
वो भी मिल जाएगा।
हठात् एक दिन ... शान्तनु सान्याल

फिरकी की तरह वक़्त घूमता
रहा, लम्हें टूट कर यहाँ
वहां बिखरते रहे,
कुछ मासूम
पौधे, रूखे
दरख़्त
में तब्दील होते चले गए, कुछ
वक़्त से पहले ठूंठ हो गए
उफ़ शराब का क्या होगा ... दिगम्बर नासवा

इस निजाम में सब अंधे
इस किताब का क्या होगा
मौत द्वार पर आ बैठी
अब हिसाब का क्या होगा
जिल्द पर मत जाना

मुझे समझाया गुरु ने
जिल्द पर मत जाना
वह बताती नहीं मजमून भीतर का
उन्हें मत सुनना जो कहें --
' हम तो वे हैं जो
मजमून भाँप लेते हैं लिफाफा देखकर '
हर मौके पर काम आते है डॉ. जोशी

हर उस पन्ने
पर लिख कर
जो देश के
ज्यादातर
समझदार
लोगों तक
पहुँचता हो
खबर ऐसी
होनी चाहिये
जिसके बारे में
किसी को कुछ
पता नहीं हो
और जिसके होने
की संभावना
कम से कम हो
शर्त है मैं खबर
का राकेट छोड़ूंगा
....
चलिए...
एक झपकी और
सादर
आभार
जवाब देंहटाएंआपको और
सखी श्वेता को भी
शानदार तात्कालिक चयन
सादर
सुंदर प्रस्तुति... साधुवाद
जवाब देंहटाएंआज फिर मुझसे भूल हुई। आजकल करोना के साथ दिल्ली में अचानक डेंगू की तबाही भी बड़े पैमाने पर जारी है। अति व्यस्तता के चलते ब्लॉगिंग की जवाबदेही से ध्यान हट गया और हमारे नियमित कार्यक्रम की लय में व्यवधान उत्पन्न हुआ जिसके लिए क्षमा चाहता हूँ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय दिग्विजय भाई साहब और श्वेता जी के तात्कालिक निर्णय और परिस्थिति सँभालने के लिए प्रशंसा और आभार।
सुंदर तात्कालिक प्रस्तुति। सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
आभार दिग्विजय जी। आते कहां हैं आप उठा के ले आते हैं कुछ भी 'उलूक' का :) :)
जवाब देंहटाएंजल्दी में भी बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
'हम तो वे हैं जो
जवाब देंहटाएंमजमून भाँप लेते हैं लिफाफा देखकर '
क्यों ऐसा लग रहा है कि
हम ये काम कर सकते तो
जीजू को तकलीफ नहीं होने देते
बढ़िया चयन
सादर
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपका आभार, नमन सह।
जवाब देंहटाएंमनभावन प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंजबरदस्त हलचल ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी गज़ल को जगह देने के लिए ...
मेरे कवितांश को अपने ब्लाग पर स्थान देने के लिए आपका धन्यवाद। रचनाओं का चयन सराहनीय है ।
जवाब देंहटाएं