।। भोर वंदन ।।
प्राची में केशर ढुलके,
पूरे भूमंडल पर छा जाए !
आलोकित नव दिनकर
जगती का तिमिर-तुमुल झुलसा जाए !
आकंठ आनंदित दसों दिशाएँ,
सुख समृद्धि चहुँ ओर हो !
यह भोर सुहानी भोर हो..!!
राजेन्द्र स्वर्णकार
आकंठ आनंदित दसों दिशाएँ..
समतुल्य भावनाओं से वशीभूत हो
चलिये अब ब्लॉग की दुनिया से ...✍️
फ़ेसबुक की तरह
हँसता ही रहा हूँ मैं
कभी इस 'पोज़' में
कभी उस 'पोज़' में
हँसता ही रहा हूँ मैं ..
आदरणीय डॉ. शरद सिंह जी ..
दरक जाती हैं भावनाएं
बिखर जाते हैं शब्द
कांच की तरह
टूट कर,
जब
सड़क पर से गुज़रती हुई
जाने मैं किधर खो गई
घर-रास्ता-मंज़िल, सब अनचिन्हा-सा है
मैं बदल गई हूँ, या फिर दुनिया बदल गई है!
धीरे-धीरे सब विस्मृत हो रहा है
मस्तिष्क साथ छोड़ रहा है ..
मैं अँधेरा लिखता हूँ...
मेरी ज़िन्दगी है
सफ़ेद सफ़हे में लिपटे
मेरे कुछ बेतरतीब हर्फ़,
और मृत्यु
मेरी वो किताब है
जो कभी नहीं लिक्खी गयी..
कोई पूछे कि ये ग़ज़ल क्या है ..डॉ. वर्षा सिंह
हुस्न माइल ब-सितम हो तो ग़ज़ल होती है
इश्क़ बा-दीदा-ए-नम हो तो ग़ज़ल होती है
फूल बरसाएँ कि वो हँस के गिराएँ बिजली
कोई भी ख़ास करम हो तो ग़ज़ल होती है..
।। इति शम ।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह ' तृप्ति '..✍️
शानदार बन गई
जवाब देंहटाएंइस उस पेज के फीछे एक फाल्स पेज था
अन-विज़िबल
सादर
ओह!! दुबारा मेहनत करना पड़ा।
जवाब देंहटाएंबढ़िया
धन्यवाद
अत्यंत सुखद !!!
जवाब देंहटाएंइस पटल का यह मेरा पहला अनुभव है।
मेरी रचना को ब्लॉग ‘पांच लिंकों का आनन्द’ में सम्मिलित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार पम्मी सिंह ‘तृप्ति’ जी !!!
इस पटल पर चयनित सभी रचनाएं सारगर्भित एवं महत्वपूर्ण हैं।
जवाब देंहटाएंबारम्बार पठनीय हैं।
अतिउत्तम चयन।
आपके श्रम को साधुवाद!!!
बहुत शुक्रिया मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए 🙏
जवाब देंहटाएंवाकई आपका परिश्रम सराहनीय है पम्मी जी 💐❤💐
सुंदर भूमिका के साथ सराहनीय रचनाओं से सजी शानदार प्रस्तुति दी।
जवाब देंहटाएंसादर।
वाह !बेहतरीन प्रस्तुति। सराहनीय भूमिका के साथ।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंथोड़ी हट कर एक गम्भीर प्रस्तुति। दिनकर जयंती की शिभकामनाएँ व सबों को प्रणाम।
जवाब देंहटाएंव्वाहहहहह
जवाब देंहटाएंबेहतरीन..
सादर.