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जीवन के खुरदुराहट के भीतर
मन की अँगुलियों ने
यात्रा सुखद हो
इसलिए कितने ही रास्ते बनाएं
सारे संताप उलीचने की कोशिश की
और यात्रा जारी रखी
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खुद को दबाना होता है
बार बार मिट्टी में,
बीज बन जो मिटते हैं
औरों के लिए,
वही नव अंकुरित होते है,
लहराते है फसलों से,
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धरती पर खिलते हैं जब फूल कांस के
मिलती है चेतावनी बादलों को,
कह गये बड़े बुज़ुर्ग यह बात..!
कांस लहराये तो बादलों की शामत आये..!!

अधिकार जो तुमको है पाना
कुछ कर्म भी करते जाना
समुद्र की गहरी हलचल में
हंस बनो इक मोती चुनो
चुनना तुम्हारा कर्म -धर्म है
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एक सुबह किचन से श्रीमती ने आवाज़ लगाई 'अलेक्सा प्ले अ भजन बाई प्रह्लाद
टिप्पणिया' . अलेक्सा ने कुछ सोच कर जवाब दिया
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आई डोंट अंडरस्टैंड
प्रहलाद टिप्पणिया !
जवाब पसंद नहीं आया. किचन से निकल कर श्रीमती ने अलेक्सा के पास आकर डांटा - अलेक्सा स्टॉप. इसे तो कुछ पता ही नहीं है. वापिस जाकर देखा तो चाय उबल कर गैस के चूल्हे पर गिर चुकी थी. तब से श्रीमती और अलेक्सा की दोस्ती ख़तम सी हो गई है. अलेक्सा अब ज्यादातर
शांत बैठी रहती है.

आपके हॉस्पिटल
इन रहते सुबह की चाय 6 बजे बाहर गुमटी पर पी लेती क्यों कि फिर गुमटी वाले का दूध खत्म हो जाता वो लौट जाता ...दिन भर आईं सी यू के बाहर बैठकर आने जाने वालों को ताकते रहते ....रिसेप्शनिस्ट
चाय पूछती पर बाद में पीने का मन ही नहीं रहता 2 महीने ऐसे ही बीत गए थे .....